आज शाम इस छोटे-से मंत्र से करें शिव का ध्यान..बिना रुके होंगे मनचाहे काम

भगवान शंकर शूलपाणि हैं यानी त्रिशूलधारण करने वाले देवता। धर्मदृष्टि से इसका अर्थ है कि शिव रज, तम और सत्व शक्तियों के नियंत्रक हैं। वहीं शंकर के हाथों में त्रिशूल से यह संदेश भी जुड़ा है कि शिव भक्ति जीवन से दैहिक, दैविक और भौतिक संताप व कष्ट रूपी शूल या कांटों को निकाल फेंकती है। इस तरह महादेव का यह स्वरूप उनके भक्त रक्षक होने का प्रतीक है।

शास्त्रों में व्यावहारिक जीवन में आ रही ऐसी ही परेशानियों से मुक्ति और मनचाही कामनाओं को बिना विघ्रों के पूरा करने के लिए शिव भक्ति की शुभ घड़ी प्रदोष व चतुर्दशी तिथि (9 अक्टूबर) पर शाम के वक्त शिव की पूजा के बाद विशेष मंत्र से प्रार्थना बहुत ही अचूक मानी गई है।

जानते हैं शिव की प्रार्थना द्वारा कामनासिद्धि के लिए यही विशेष मंत्र, जिसका सोमवार या नियमित शिव पूजा में स्मरण कार्यसिद्धि प्रदान करता है।

शान्तं पद्मासनस्थं शशधरमुकुटं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रं।

शूलं पाशं च खड्गं परसुमभयदं दक्षिणाङ्गे वहन्तम्।

नागं पाशं च घण्टां डमरुसहितं साङ्कशं वामभागे।

नानालङ्गकारयुक्तं स्पटिकमणिनिभं पार्वतीशं नमामि।।








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