प्रेम-विवाह


प्रेम-विवाह
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वैसे तो ग्रंथों में आठ अलग-अलग प्रकार के विवाहों का उल्लेख मिलता है। लेकिन शाब्दिक अर्थ के मामले में प्रेम-विवाह के आगे सब फेल हैं। कितना सुन्दर शब्द है- 'प्रेम-विवाह' एक तरफ तो दुनिया के सभी धर्मों के धर्म गुरु इंसानो से आपस में प्रेम करने का पाठ पढ़ाते हैं, और यदि उनके इस पाठ से शिक्षा ग्रहण करके यदि स्वयं उन्हीं की संतान प्रेम को व्यावहारिक जीवन में उतारते हुए प्रेम विवाह करले, तो ये प्रेम के शिक्षक रुद्रावतार धारण करने में तनिक भी देर नहीं करते। बड़े आश्चर्य का विषय है कि समाज को, नाबालिक विवाह मंजूर है, दहेज के रूप में सोदेबाजी या लेनदेन का विवाह मंजूर है और उम्र के हिसाब से अनमेल विवाह भी स्वीकार है। किन्तु प्रेम-विवाह स्वीकार नहीं क्योंकि कहीं कहीं दो युवाओं के इस कदम से समाज के अंहकार को ठेस पंहुचती है।अब आइये पे्रम करने वाले दीवानों की इस दुस्साहसभरी मानसिकता पर विचार करें।

विज्ञान की नजर से- रसायन विज्ञानियों का मानना है कि ऐसा तब होता है जब शरीर में एक विशेष प्रकार हार्मोन्स का स्राव होने लगता है।

मनोविज्ञान- किन्तु यदि हम मनोविज्ञान के दृष्टिकोण से सोचेंगे तो एक नई और अधिक व्यावहारिक बात सामने आएगी। वह यह कि इंसानी मन की यह फितरत होती है कि उसे जिस काम से रोका जाए ,उसे उसी काम में अधिक रस मिलता है।बचपन से ही लड़के-लड़की को एक दूसरे से दूर रहने की समझाइस मिलती रहती है, यहीं से उनके मन में आकर्षण के बीज बुवने लगते हैं। एक दूसरा कारण यह है कि इंसान को तैयार माल अधिक आकर्षित करता है। कपड़े खरीद कर दर्जी को नाप देकर फिर ड्रेस तैयार हो, इसमें वो आकषण नहीं जो रेडीमेड कपड़ों में होता है।

ग्रह भी कराते है प्रेम विवाह
जब किसी लड़का और लड़की के बीच प्रेम होता है तो वे साथ साथ जीवन बीताने की ख्वाहिश रखते हैं और विवाह करना चाहते हैं। कोई प्रेमी अपनी मंजिल पाने में सफल होता है यानी उनकी शादी उसी से होती है जिसे वे चाहते हैं और कुछ इसमे नाकामयाब होते हैं। ज्योतिषशास्त्री इसके लिए ग्रह योग को जिम्मेवार मानते हैं। देखते हैं ग्रह योग कुण्डली में क्या कहते हैं।
ज्योतिषशास्त्र में "शुक्र ग्रह" को प्रेम का कारक माना गया है । कुण्डली में लग्न, पंचम, सप्तम तथा एकादश भावों से शुक्र का सम्बन्ध होने पर व्यक्ति में प्रेमी स्वभाव का होता है। प्रेम होना अलग बात है और प्रेम का विवाह में परिणत होना अलग बात है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पंचम भाव प्रेम का भाव होता है और सप्तम भाव विवाह का। पंचम भाव का सम्बन्ध जब सप्तम भाव से होता है तब दो प्रेमी वैवाहिक सूत्र में बंधते हैं। नवम भाव से पंचम का शुभ सम्बन्ध होने पर भी दो प्रेमी पति पत्नी बनकर दाम्पत्य जीवन का सुख प्राप्त करते हैं।
ऐसा नहीं है कि केवल इन्हीं स्थितियो मे प्रेम विवाह हो सकता है। अगर आपकी कुण्डली में यह स्थिति नहीं बन रही है तो कोई बात नहीं है हो सकता है कि किसी अन्य स्थिति के होने से आपका प्रेम सफल हो और आप अपने प्रेमी को अपने जीवनसाथी के रूप में प्राप्त करें। पंचम भाव का स्वामी पंचमेश शुक्र अगर सप्तम भाव में स्थित है तब भी प्रेम विवाह की प्रबल संभावना बनती है । शुक्र अगर अपने घर में मौजूद हो तब भी प्रेम विवाह का योग बनता है।
शुक्र अगर लग्न स्थान में स्थित है और चन्द्र कुण्डली में शुक्र पंचम भाव में स्थित है तब भी प्रेम विवाह संभव होता है। नवमांश कुण्डली जन्म कुण्डली का शरीर माना जाता है अगर कुण्डली में प्रेम विवाह योग नहीं है और नवमांश कुण्डली में सप्तमेश और नवमेश की युति होती है तो प्रेम विवाह की संभावना 100 प्रतिशत बनती है। शुक्र ग्रह लग्न में मौजूद हो और साथ में लग्नेश हो तो प्रेम विवाह निश्चित समझना चाहिए । शनि और केतु पाप ग्रह कहे जाते हैं लेकिन सप्तम भाव में इनकी युति प्रेमियों के लिए शुभ संकेत होता है। राहु अगर लग्न में स्थित है तो
नवमांश कुण्डली या जन्म कुण्डली में से किसी में भी सप्तमेश तथा पंचमेश का किसी प्रकार दृष्टि या युति सम्बन्ध होने पर प्रेम विवाह होता है। लग्न भाव में लग्नेश हो साथ में चन्द्रमा की युति हो अथवा सप्तम भाव में सप्तमेश के साथ चन्द्रमा की युति हो तब भी प्रेम विवाह का योग बनता है। सप्तम भाव का स्वामी अगर अपने घर में है तब स्वगृही सप्तमेश प्रेम विवाह करवाता है। एकादश भाव पापी ग्रहों के प्रभाव में होता है तब प्रेमियों का मिलन नहीं होता है और पापी ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्त है तो व्यक्ति अपने प्रेमी के साथ सात फेरे लेता है। प्रेम विवाह के लिए सप्तमेश व एकादशेश में परिवर्तन योग के साथ मंगल नवम या त्रिकोण में हो या फिर द्वादशेश तथा पंचमेश के मध्य राशि परिवर्तन हो तब भी शुभ और अनुकूल परिणाम मिलता है।

ऐसे सपने दिखे, तो होगा प्रेम विवाह

आजकल अधिकांश युवा प्रेम विवाह करना चाहते हैं और इसके लिए वे कई तरह के प्रयास भी करते हैं। फिर भी वे यह नहीं समझ पाते कि उनका प्रेम विवाह होगा या नहीं। ऐसे में ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नींद में दिखाई देने वाले सपनों से भी प्रेम विवाह होने या ना होने के संकेत प्राप्त होते हैं।

- यदि कोई युवती स्वप्न में किसी सुंदर चिडिय़ा को चहचहाती हुई देखती है, तो उसका प्रेम विवाह तक अवश्य पहुंचता है।

- यदि कोई लड़की स्वयं तो पलंग पर बिस्तर बिछाते हुए देखे तो शीघ्र ही किसी न किसी से उसका प्रेम संबंध बन सकता है या प्रेमी से उसका विवाह हो सकता है।

- यदि कोई सपने में सर्कस में कलाबाजी दिखाए या किसी और को करतब दिखाते देखे तो उस व्यक्ति के प्रेम में कोई तीसरा व्यक्ति दखल दे सकता है।

- यदि कोई व्यक्ति सपने में फिल्म देखे और फिल्म में प्रणय दृश्य देखता है तो उसके प्रेम संबंध में बड़ी परेशानियां उत्पन्न हो जाती है।

- यदि सपने में कोई संगीत सुनता है तो उस व्यक्ति को प्रेम संबंध में सुख प्राप्त होता है।

प्रेम और विवाह पर ग्रहों का प्रभाव
 यदि दो प्रेमियों में से किसी भी एक की कुंडली में द्वितीयेश, सप्तमेश और दशमेश तीनों ग्रह दशम् भाव में हों, तो प्रेम संबंधों का प्रभाव व्यापार, व्यवसाय या नौकरी के लिए शुभ फलदायी होता है। द्वितीयेश या सप्तमेश चतुर्थ में हो और चंद्रमा, मंगल, शु से युति, दृष्टि या परिर्वतन हो, तो अपने ननिहाल के परिवार से संबंध बनता है।
सृष्टि के आरंभ से आज तक नर और नारी के बीच एक असमाप्त ऐन्द्रजालिक सम्मोहन विद्यमान है। प्राचीन भारतीय वाड्:मय में ऐसे कितने ही उदाहरण मिलते हैं, जिनसे नर-नारी का अन्योन्याश्रय संबंध द्योतित होता है।
न हि शक्तिमय: शक्त्या विप्रयोगोऽस्ति जातुचित्।
  तस्माच्छक्ते: शक्तिमतस्तादात्मयान्निर्वृ तिर्द्ध्रयो:।
(शिवपुराण 721)
नर और नारी के मध्य शाश्वत आकर्षण ही प्रेम है। किसी भी सभ्यता और संस्कृति की शुरुआत प्रेम से ही हुई है। समस्त समाजों, संस्कारों, विधि-विधानों, संस्थाओं और स्वीकृतियों से प्राचीन प्रेम मनुष्य की अनिवार्य जरूरत है। शास्त्रों, पुराणों के अनुसार प्रकृति-पुरुष या पार्वती और शिव के प्रतिमान शक्ति और शक्तिमान के प्रतिरूप हैं। कुमारसंभव में महाकवि कालिदास द्वारा भी सृष्टिकर्ता को स्वयं दो भागों में विभक्त किया है- नर और नारी। शास्त्रों में गांधर्व विवाह के कितने ही उदाहरण आए हैं। गांधर्व विवाह ही प्रेम विवाह का प्राचीनतम स्वरूप है। ऋषि 'मनु' ने इस विवाह को 'मनुस्मृति' में वर्णित किया है।
महाभारत के रचयिता 'व्यास' के अनुसार-
सकामाया: सकामेन निर्मन्त्र: श्रेष्ठ उच्चते।
आज के भौतिक युग में स्त्री-पुरुष का आपस में बार-बार मिलना तथा बाद में प्रेम विवाह में परिणीत हो जाना आम बात है। इस कामाकर्षण, राग संवर्द्धन को संयमित करने का सामाजिक, मनोवैज्ञानिक स्थिरता तथा सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखने का उचित पर्याय विवाह है।
रामायण काल में भी स्वयंवर हुए हैं। अर्थात् कन्या को पूरी छूट थी कि वह अपनी पसंद से विवाह करे।
यस्यां मनोऽनुरमते चक्षुश्च प्रतिपद्यते।
तां विद्यात् मुख्यलक्ष्मीकां किं ज्ञानने करिष्यति॥
(भारद्वाज गृह्यसूत्र)
पुरुष को उस कन्या से विवाह करना चाहिए, जिसमें उसका मन रमे तथा नेत्र बराबर उसके रूप में उलझे रहें। ऐसी कन्या शुभ लक्षणों से संपन्न मानी जाती है। उसके ज्ञान तथा बुद्धि का क्या प्रयोजन।
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प्रेम-विवाह के ज्योतिषीय दृष्टिकोण: जन्मकुंडली में प्रेम विवाह संबंधी संभावनाओं का विश्लेषण करते समय सर्वप्रथम पंचम् भाव का अध्ययन करना अति आवश्यक है क्योंकि पंचम् भाव व्यक्ति से संकल्प, विकल्प, इच्छा, मैत्री, साहस, भावना और योजना-सामर्थ्य का ज्ञान कराता है। सप्तम् भाव से विवाह, सुख, सहभागी तथा सहभागिता देखते हैं।
नवम् भाव से प्रेम विवाह में जाति धर्म देखते हैं। एकादश भाव इच्छा पूर्ति का भाव होता है। द्वितीय भाव पारिवारिक संतोष को प्रकट करता है। सप्तम् भाव काम त्रिकोण का मुख्य भाव है। एकादश भाव काम त्रिकोण का तीसरा और काम इच्छा पूर्ति का भाव है। प्रथम भाव या लक्षण स्वयं। सप्तम् भाव शक्ति अर्थात् शिव और शक्ति का मिलन भाव है। जन्म कुंडली में पुरूष के लिए शुक्र तथा स्त्री (कन्या) के लिए मंगल ग्रह का अवलोकन किया जाता है। शुक्र आकर्षण, सेक्स, प्रणय, सौंदर्य, विलासिता का प्रेरक है। मंगल उत्साह-उत्तेजना का। जन्मकुंडली में मंगल जितना प्रभावी होगा, जातक उसी के अनुसार साहसी और धैर्यवान होता है। यह दोनों ग्रह काम परक क्रियाकलापों के उत्तरदायी हैं।
चंद्रमा मन-भावना, इच्छाशक्ति का स्वामी है। बृहस्पति (गुरू) योजना-निर्माता है। इन चारों ग्रहों का प्रभाव सामाजिक स्तर पर प्रणय योग को जन्म देता है।
प्रेम विवाह के योग
प्रेम विवाह क लिए पंचम, सप्तम् व नवम् (5-7-9) भाव तथा उनके स्वामियों का आपसी संबंध, दृष्टि या परिर्वतन द्वारा होना।
एकादशेश या एकादश में स्थित ग्रह का संबंध सप्तमेश या सप्तम् से पंचम् या पंचमेश से, शुक का संबंध लग्न, पंचम् या सप्तम् भाव से हो।
पंचम भाव का शुक्र प्रेम का शुद्ध स्वरूप स्थापित करता है।
पंचमेश और सप्तमेश का एक साथ होना।
पंचमेश का मंगल के साथ पंचम भाव में होना।
लग्नेश का पंचमेश, सप्तमेश या भाग्येश से संबंध।
सप्तमेश का एकादश भाव में तथा एकादशेश का सप्तम् में होना।
मंगल, शुक्र तथा लग्नेश का संबंध
शनि पर राहु मंगल का प्रभाव हो तथा चंद्रमा मध्य में आ जाए।
मंगल और शुक्र का युति योग, तृतीय या चतुर्थ भाव में हो, तो पड़ोस में या एक ही बिल्डिंग में रहने वाले व्यक्ति से प्रेम संबंध बनता है। यदि बृहस्पति केंद्र या त्रिकोण में हो, तो प्रेम संबंध के पश्चात् विवाह भी हो जाता है।
मंगल और शुक्र दोनों नवम् या दशम् भाव में हों, तो आकर्षक कार्य स्थान में होता है। साथ कार्य करने वाले या उच्च पद के व्यक्ति के प्रति। बृहस्पति तीसरे स्थान में अथवा केंद्र या त्रिकोण में हो तो विवाह की संभावना बनती है।
पंचमेश के साथ बुध या बृहस्पति के साथ मंगल और शु का संबंध, चतुर्थ, पंचम, दशम् या एकादश भाव(4, 5, 10, 11) में बने तो स्कूल, कॉलेज में, शिक्षक या सहपाठी के बीच प्रेम-संबंध बनता है।
यदि लग्नेश और षष्ठेश एक साथ हों या दृष्टि संबंध हो, तो व्यक्ति अपने प्रेम संबंध को बनाए रखने के लिए सतत प्रयत्नशील रहता है। यदि लग्नेश या षष्ठेश में से एक ग्रह शु या चंद्रमा हो और लग्न, पंचम,नवम् या द्वादश (1-5-9-12) भाव में हो, तो प्रेम संबंध में स्थायित्व की संभावना होगी। (लग्न वृषभ, कर्क, तुला या कुंभ, धनु हो)। यदि दो प्रेमियों में से किसी भी एक की कुंडली में द्वितीयेश, सप्तमेश और दशमेश तीनों ग्रह दशम् भाव में हों, तो प्रेम संबंधों का प्रभाव व्यापार, व्यवसाय या नौकरी के लिए शुभ फलदायी होता है। द्वितीयेश या सप्तमेश चतुर्थ में हो और चंद्रमा, मंगल, शुक्र से युति, दृष्टि या परिर्वतन हो, तो अपने ननिहाल के परिवार से संबंध बनता है। दक्षिण भारत में यह योग्य अक्सर मिलता है, क्योंकि वहां मामा से विवाह किया जाता है। बृहस्पति की युति, बुध या चंद्रमा या शुक्र के साथ पंचम, सप्तम या नवम् भाव में ही, तो एक सामान्य स्थिति के व्यक्ति का संबंध बहुत ही धनवान या उच्च पद के व्यक्ति से होगा।
यदि यह योग वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला या मीन राशि में बने तो प्रबल योग होता है। पुरुष कुंडली में शुक्र तथा स्त्री कुंडली में समान राशिगत हों अर्थात् जिस राशि में पु्रुष का शुक्र हो, स्त्री कुंडली में उसी राशि में मंगल हो, तो उन दोनों में प्रेमाकर्षण होता है। यदि दोनों ग्रहों के अंश समान हों, तो अपरिसीम आकर्षण उत्पन्न होता है। यदि स्त्री कुंडली में मंगल और पुरुष कुंडली में शुक्र आपस में केंद्र या त्रिकोण में हों, तो आपसी प्रेमाकर्षण होता है। परंतु यह दोनों 2-12 या षडाष्टक (6-8) हों तथा राशियां भी अलग-अलग हों, तो विकर्षण रहता है। यदि यही शुक्र-मंगल 3-11 हों, तो आकर्षण धनीभूत होता है। किसी भी देश की सरकार में उच्च पदाधिकारियों के प्रेम संबंध स्थापित होने में उस व्यक्ति की कुंडली मे शु के साथ-साथ सूर्य और मंगल पर भी ध्यान देना होगा।

राजनीतिज्ञों और प्रशासनिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के कारक ग्रह सूर्य और मंगल हैं तथा प्रेम अथवा विवाह का कारक ग्रह शुक्र है। इसी प्रकार जल सेना, जल पोतों पर काम करने वाले व्यक्तियों की कुंडली में शुक्र का संबंध चंद्रमा और मंगल से भी होता है। फिल्म जगत् में काम करने वाले अभिनेता, अभिनेत्री, डायरेक्टर, टेक्नीशियन अथवा कलाकारों के प्रेम संबंधों तथा विवाह में चंद्रमा एवं शुक्र का प्रभाव रहता है।
यदि चंद्रमा या शुक्र अथवा दोनों 6-7-8 या 12वें भाव में हों और इनके साथ मंगल, बुध, शनि राहु या हर्षल का युति योग, दृष्टि योग बने तो ऐसे कलाकार का किसी व्यक्ति के साथ लंबे समय तक प्रेम संबंध चलेगा। यदि चंद्रमा या शुक्र की उपर्युक्त स्थिति के साथ बली बृहस्पति या केतु का दृष्टि या युति योग बने तो प्रेम संबंध विवाह में परिणीत हो जाएगा। यदि चंद्रमा या शु की उपर्युक्त स्थिति के साथ बुध या बृहस्पति या केतु का किसी प्रकार का संबंध नहीं हो तथा साथ ही चंद्रमा या शुक्र की उपर्युक्त स्थिति के साथ मंगल, शनि, राहू अथवा हर्शल का किसी भी प्रकार का संबंध हो, तो उक्त प्रेम या विवाह अधिक समय तक नहीं चलेगा।
धर्म परिवर्तन
प्रेम एक ऐसी अभिव्यक्ति है, जो कि जाति-धर्म से अलग है। प्रेम करने वाले दो इंसान विवाह करने के लिए अपना धर्म तक परिवर्तित कर लेते हैं।
यदि सप्तम् और नवम् भाव में एक-एक क्रूर ग्रह हों, तथा इन दोनों का किसी अन्य बली ग्रह से कोई संबंध नहीं बन रहा हो तो ऐसा व्यक्ति विवाह के लिए अपना धर्म परिर्वतन कर लेगा। यदि सप्तम् भाव में चंद्रमा, मंगल या शनि की राशि (कर्क, मेष, वृश्चिक, मकर या कुंभ)हो तथा द्वादश भाव में कोई भी दो क्रूर ग्रह हों, तो विवाह के लिए धर्म परिवर्तन होगा।
यदि शनि छठे या सातवें भाव में स्थित हो या छठे भाव से सप्तमेश को दृष्ट करे तो ऐसे व्यक्ति परंपरा के विरुद्ध जा कर अपनी जाति के बाहर या विदेशी के साथ प्रेम विवाह करते हैं। शनि की विशेषता है कि किशोरावस्था में प्रेम संबंध स्थापित करा देता है और कई वर्ष पूर्व समाप्त हुए प्रेम संबंध को दोबारा शुरू करा देता है या यह कहें कि विवाहित जीवन में अनुचित या अनैतिक प्रेम संबंध बना देता है। यह स्थिति तब आती है जब शनि सप्तम भाव पर गोचर करता है या शनि की महादशा अथवा अंर्तदशा हो। शनि के प्रभाव के कारण 15-20-28 अथवा 30 वर्ष पुराने संबंध नए सिरे से स्थापित हो जाते हैं।
जन्म कुंडली में पुरुष के लिए शुक्र तथा स्त्री (कन्या) के लिए मंगल ग्रह का अवलोकन किया जाता है। शुक्र आकर्षण, सैक्स, प्रणय, सौंदर्य विलासिता का प्रेरक है। मंगल उत्साह-उत्तेजना का जन्मकुंडली में मंगल जितना प्रभावी होगा, जातक उसी के अनुसार साहसी और धैर्यवान होता है।
सारांश : सभी योग तभी फलीभूत होते हैं जब उन योगों में सम्मिलित ग्रहों की दशा या अंतर्दशा आएगी (देश-काल-पात्र का ध्यान अवश्य रखना चाहिए)। दशा के साथ-साथ गोचर भी अनुकूल होना चाहिए। विवाह एक सामाजिक कार्य है। प्रेम संबंध और विवाह दोनों को अलग नहीं रखा जा सकता। विवाह के पश्चात् प्रेम संबंध बने, यह अनुचित है। प्रेम विवाह कब होगा? इसके लिए सर्वप्रथम कुंडली में विवाह का योग होना आवश्यक है। जन्म लग्न, चंद्र लक्षण तथा शुक्र लग्न से सप्तमेश की दशा-अंतर्दशा में अनुकूल गोचर में तथा शुभ मुहूर्त में ही विवाह संपन्न होगा।

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विशेष-दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है। समयानुसार चौघड़िया को तीन भागों में बांटा जाता है शुभ, मध्यम और अशुभ चौघड़िया। इसमें अशुभ चौघड़िया पर कोई नया कार्य शुरु करने से बचना चाहिए।

शुभ चौघडिया
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मध्यम चौघडिया
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कुछ उपयोगी टोटके


छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। हमारे पुरुखों के पास बहुत अनुभूत उपाय थे, जिनके द्वारा वे रोग व परेषानीयों को तुरत दूर कर देते थे इस लोकप्रिय स्तंभ में कुछ उपयोगी टोटकों की विधिवत जानकारी दी जा रही है...

   नोट :

  1. लाल किताब के सभी उपाय दिन में ही करने चाहिए ! अर्थात सूरज उगने के बाद व सूरज डूबने से पहले !

  2. सच्चाई व शुद्ध भोजन पर विशेष ध्यान देना चाहिए !

  3. किसी भी उपाय के बीच मांस, मदिरा, झूठे वचन, परस्त्री गमन की विशेष मनाही है !

  4. सभी उपाय पूरे विश्वास व श्रद्धा से करें, लाभ अवश्य होगा !

  5. एक दिन में एक ही उपाय करना चाहिए ! यदि एक से ज्यादा उपाय करने हों तो छोटा उपाय पहले करें ! 
   एक उपाय के दौरान दूसरे उपाय का कोई सामान भी घर में न रखें !


   किसी शुभ कार्य के जाने से पहले

रविवार को पान का पत्ता साथ रखकर जायें।सोमवार को दर्पण में अपना चेहरा देखकर जायें। मंगलवार को मिष्ठान खाकर जायें। बुधवार को हरे धनिये के पत्ते खाकर जायें। गुरूवार को सरसों के कुछ दाने मुख में डालकर जायें। शुक्रवार को दही खाकर जायें। शनिवार को अदरक और घी खाकर जाना चाहिये।

किसी भी शनिवार की शाम को माह की दाल के दाने लें। उसपर थोड़ी सी दही और सिन्दूर लगाकर पीपल के वृक्ष के नीचे रख दें और बिना मुड़कर देखे वापिस आ जायें। सात शनिवार लगातार करने से आर्थिक समृद्धि तथा खुशहाली बनी रहेगी।

गृह बाधा की शांति के लिए पश्चिमाभिमुख होकर क्क नमः शिवाय मंत्र का २१ बार या २१ माला श्रद्धापूर्वक जप करें।

आर्थिक परेशानियों से मुक्ति के लिए गणपति की नियमित आराधना करें। इसके अलावा श्वेत गुजा (चिरमी) को एक शीशी में गंगाजल में डाल कर प्रतिदिन श्री सूक्त का पाठ करें। बुधवार को विशेष रूप से प्रसाद चढ़ाकर पूजा करें।                               


  शादी विवाह में विघ्न न पडने देने के लिये टोटका

शादी वाले दिन से एक दिन पहले एक ईंट के ऊपर कोयले से ष्बाधायेंष् लिखकर ईंट को उल्टा करके किसी सुरक्षित स्थान पर रख दीजिये,और शादी के बाद उस ईंट को उठाकर किसी पानी वाले स्थान पर डाल कर ऊपर से कुछ खाने का सामान डाल दीजिये,शादी विवाह के समय में बाधायें नहीं आयेंगी।


    मुकदमें में विजय पाने के लिए :

यदि आपका किसी के साथ मुकदमा चल रहा हो और आप उसमें विजय पाना चाहते हैं तो थोडे से चावल लेकर कोर्टध्कचहरी में जांय और उन चावलों को कचहरी में कहीं पर फेंक दें ! जिस कमरे में आपका मुकदमा चल रहा हो उसके बाहर फेंकें तो ज्यादा अच्छा है ! परंतु याद रहे आपको चावल ले जाते या कोर्ट में फेंकते समय कोई देखे नहीं वरना लाभ नहीं होगा ! यह उपाय आपको बिना किसी को पता लगे करना होगा !

     परेशानी से मुक्ति के लिए :

 आज कल हर आदमी किसी न किसी कारण से परेशान है ! कारण कोई भी हो आप एक तांबे के पात्र में जल भर कर उसमें थोडा सा लाल चंदन मिला दें ! उस पात्र को सिरहाने रख कर रात को सो जांय ! प्रातः उस जल को तुलसी के पौधे पर चढा दें ! धीरे-धीरे परेशानी दूर होगी !


   परिवार में शांति बनाए रखने के लिए :

 बुधवार को मिट्टी के बने एक शेर को उसके गले में लाल चुन्नी बांधकर और लाल टीका लगाकर माता के मंदिर में रखें और माता को अपने परिवार की सभी समस्याएं बताकर उनसे शांति बनाए रखने की विनती करें। यह क्रिया निष्ठापूर्वक करें, परिवार में शांति कायम होगी।

   ईश्वर का दर्शन करने के लिये टोटका

शाम को एकान्त कमरे में जमीन पर उत्तर की तरफ मुंह करके पालथी मारकर बैठ जाइये, दोनों आंखों को बन्द करने के बाद आंखों की द्रिष्टि को नाक के ऊपर वाले हिस्से में ले जाने की कोशिश करिये, धीरे धीरे रोजाना दस से बीस मिनट का प्रयोग करिये, लेकिन इस काम को करने के बीच में किसी भी प्रकार के विचार दिमाग में नही लाने चाहिये, आपको आपके इष्ट का दर्शन सुगमता से हो जायेगा। अपने पूर्वजों की नियमित पूजा करें। प्रति माह अमावस्या को प्रातःकाल ५ गायों को फल खिलाएं।

   बनता काम बिगडता हो, लाभ न हो रहा हो या कोई भी परेशानी हो तो :

1. हर मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में बदाना (मीठी बूंदी) चढा कर उसी प्रशाद को मंदिर के बाहर गरीबों में बांट दें !

2. व्यापार, विवाह या किसी भी कार्य के करने में बार-बार असफलता मिल रही हो तो यह टोटका करें- सरसों के तैल में सिके गेहूँ के आटे व पुराने गुड़ से तैयार सात पूये, सात मदार (आक) के पुष्प, सिंदूर, आटे से तैयार सरसों के तैल का रूई की बत्ती से जलता दीपक, पत्तल या अरण्डी के पत्ते पर रखकर शनिवार की रात्रि में किसी चौराहे पर रखें और कहें -हे मेरे दुर्भाग्य तुझे यहीं छोड़े जा रहा हूँ कृपा करके मेरा पीछा ना करना। सामान रखकर पीछे मुड़कर न देखें।


    सफलता प्राप्ति के लिए :

  . किसी कार्य की सिद्धि के लिए जाते समय घर से निकलने से पूर्व ही अपने हाथ में रोटी ले लें। मार्ग में जहां भी कौए दिखलाई दें, वहां उस रोटी के टुकड़े कर के डाल दें और आगे बढ़ जाएं। इससे सफलता प्राप्त होती है।

  ॰ किसी भी आवश्यक कार्य के लिए घर से निकलते समय घर की देहली के बाहर, पूर्व दिशा की ओर, एक मुट्ठी घुघंची को रख कर अपना कार्य बोलते हुए, उस पर बलपूर्वक पैर रख कर, कार्य हेतु निकल जाएं, तो अवश्य ही कार्य में सफलता मिलती है।

  ॰ अगर किसी काम से जाना हो, तो एक नींबू लें। उसपर 4 लौंग गाड़ दें तथा इस मंत्र का जाप करें रू ॐ श्री हनुमते नम:´21 बार जाप करने के बाद उसको साथ ले कर जाएं। काम में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी।

  ॰ चुटकी भर हींग अपने ऊपर से वार कर उत्तर दिशा में फेंक दें। प्रातरूकाल तीन हरी इलायची को दाएँ हाथ में रखकर श्रीं श्रीं´´ बोलें, उसे खा लें, फिर बाहर जाएँ।
प्रातः सोकर उठने के बाद नियमित रूप से अपनी हथेलियों को ध्यानपूर्वक देखें और तीन बार चूमें। ऐसा करने से हर कार्य में सफलता मिलती है। यह क्रिया शनिवार से शुरू करें।

    खाना पचाने का टोटका

अधिकतर बैठे रहने से या खाना खाने के बाद मेहनत नही करने से भोजन पच नही पाता है और पेट में दर्द या पेट फूलने लगता है,खाना खाने के बाद तुरंत बायीं करवट लेट जाइये, खाना आधा घन्टे में अपनी जगह बनाकर पचने लगेगा और अपान वायु बाहर निकल जायेगी।

                     
                       परम्॥ निवारण के प्रमुख स्थल

           बाला जी (मेहंदीपुर राजस्थान) - भूत प्रेत बाधा निवारण

           हुसैन टेकरी (राजस्थान) - भूत प्रेत बाधा निवारण

           पीतांबरा शक्ति पीठ (ततिया) - शत्रु विनाश

           कात्यायनी शक्ति पीठ (वृंदावन) - कुंआरी कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए

           शुचींद्रम शक्तिपीठ (कन्याकुमारी) - कुंआरी कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए

            गुह्येश्वरी देवी (नेपाल) - रोग मुक्ति

            महाकालेश्वर (उज्जैन) - प्राण रक्षा हेतु

     लक्ष्मी प्राप्ति के उपाय

   आप अपने निवास स्थान में उत्तर-पूर्व दिशा में एक साफ जगह पर स्थान चुन लीजिये, उस स्थान को गंदगी आदि से मुक्त कर लीजिये, फिर एक साफ लकडी का पाटा उस स्थान पर रख लीजिये,और एक चमेली के तेल की सीसी, पचास मोमबत्ती सफेद और पचास मोमबत्ती हरी और एक माचिस लाकर रख लीजिये। अपना एक समय चुन लीजिये जिस समय आप जरूर फ्री रहते हों, उस समय में आप घडी मिलाकर ईश्वर से धन प्राप्त करने के उपाय करना शुरु कर दीजिये। पाटे को पानी और किसी साफ कपडे से साफ करिये, एक हरी मोमबत्ती और एक सफेद मोमबत्ती दोनो को चमेली के तेल में डुबोकर नहला लीजिये,दोनो को एक माचिस की तीली जलाकर उनके पैंदे को गर्म करने के बाद एक दूसरे से नौ इंच की दूरी पर बायीं (लेफ्ट) तरफ हरी मोमबत्ती और दाहिनी (राइट) तरफ सफेद मोमबत्ती पाटे पर चिपका दीजिये। दुबारा से माचिस की तीली जलाकर पहले हरी मोमबत्ती को और फिर सफेद मोमबत्ती को जला दीजिये,दोनो मोमबत्तिओं को देखकर मानसिक रूप से प्रार्थना कीजिये ष्हे धन के देवता कुबेर ! मुझे धन की अमुक (जिस काम के लिये धन की जरूरत हो उसका नाम) काम के लिये जरूरत है, मुझे ईमानदारी से धन को प्राप्त करने में सहायता कीजियेष्, और प्रार्थना करने के बाद मोमबत्ती को जलता हुआ छोड कर अपने काम में लग जाइये। दूसरे दिन अगर मोमबत्ती पूरी जल गयी है, तो उस जले हुये मोम को वहीं पर लगा रहने दें, और नही जली है तो वैसी ही रहने दें, दूसरी मोमबत्तियों को पहले दिन की तरह से ले लीजिये, और पहले जली हुयी मोमबत्तियों से एक दूसरी के नजदीक लगाकर जलाकर पहले दिन की तरह से वही प्रार्थना करिये, इस तरह से धीरे धीरे मोमबत्तिया एक दूसरे की पास आती चलीं जायेगी, जितनी ही मोमबत्तियां पास आती जायेंगी, धन आने का साधन बनता चला जायेगा, और जैसे ही दोनो मोमबत्तियां आपस में सटकर जलेंगी, धन प्राप्त हो जायेगा। जब धन प्राप्त हो जाये तो पास के किसी धार्मिक स्थान पर या पास की किसी बहती नदी में उस मोमबत्तियों के पिघले मोम को लेजाकर श्रद्धा से रख आइये या बहा दीजिये, जो भी श्रद्धा बने गरीबों को दान कर दीजिये, ध्यान रखिये इस प्रकार से प्राप्त धन को किसी प्रकार के गलत काम में मत प्रयोग करिये,अन्यथा दुबारा से धन नही आयेगा।

   दूसरे प्रकार के उपाय में कुछ धन पहले खर्च करना पडता है,इस उपाय के लिये आपको जो भी मुद्रा आपके यहां चलती है आप ले लीजिये जैसे रुपया चलता है तो दस दस के पांच नोट ले लीजिये डालर चलता है तो पांच डालर ले लीजिये आदि। बाजार से पांच नगीने जैसे गोमेद एमेथिस्ट जेड सुनहला गारनेट ले लीजिये, यह नगीने सस्ते ही आते है, साथ ही बाजार से समुद्री नमक भी लेते आइये। यह उपाय गुरुवार से शुरु करना है, अपने घर मे अन्दर एक ऐसी जगह को देखिये जहां पर लगातार सूर्य की रोशनी कम से कम तीन घंटे रहती हो, एक पोलीथिन के ऊपर पहले पांच नोट रखिये, उनके ऊपर एक एक नगीना रख दीजिये, और उन नगीनो तथा नोटों पर समुद्री नमक पीस कर थोडा थोडा छिडक दीजिये और उन्हे सूर्य की रोशनी में लगातार तीन घंटे के लिये छोड दीजिये। तीन घंटे बाद उन नोटों और नगीनों को समुद्री नमक को उसी पोलीथीन पर पर साफ कर लीजिये, और उस पोलीथिन वाले नमक को अपने घर के मुख्य दरवाजे पर डाल दीजिये, उन नगीनों और नोटों को अपने पर्स में रख लीजिये, अगर कोई तुम्हारा जान पहिचान का या कोई रिस्तेदार तुम्हारे पास आता है तो उसे एक नगीना कोई सा भी उसी गुरुवार को यह कहकर दीजिये कि यह नगीना भाग्य बढाने वाला है, और एक नोट उनमें से किसी बच्चे को बिस्कुट लाने के लिये या किसी प्रकार बिल चुकाने के काम में उसी दिन ले लीजिये, दूसरे गुरुवार को दूसरा नगीना किसी को फिर दान कर दीजिये और एक नोट किसी बच्चे या किसी प्रकार के घरेलू खर्चे में खर्च कर दीजिये,यही क्रम लगातार चार गुरुवार तक करना है, पांचवे गुरुवार को बचा हुआ एक नगीना और नोट अपनी तिजोरी या धन रखने वाले स्थान में रख लीजिये, आपके पास लगातार धन का प्रवाह शुरु हो जायेगा, उस धन में से 3: दान करते रहिये, जब तक वह नगीना और नोट आपके पास रहेगा, धन की कमी नही आ सकती है।


           संपत्ति में वृद्धि हेतु:

    .किसी भी बृहस्पतिवार को बाजार से जलकुंभी लाएं और उसे पीले कपड़े में बांधकर घर में कहीं लटका दें। लेकिन इसे बार-बार छूएं नहीं। एक सप्ताह के बाद इसे बदल कर नई कुंभी ऐसे ही बांध दें। इस तरह ७ बृहस्पतिवार करें। यह निच्च्ठापूर्वक करें, ईश्वर ने चाहा तो आपकी संपत्ति में वृद्धि अवष्य होगी।

      अमीर बनने का अनुभूत टोटका

    जो भी कमाया जाये उसका दसवां हिस्सा गरीबों को भोजन,कन्याओं को भोजन और वस्त्र, कन्यायों की शादी, धर्म स्थानों को बनाने के काम, आदि में खर्च करिये, देखिये कि आपकी आमदनी कितनी जल्दी बढनी शुरु हो जाती है। लेकिन दसवें हिस्से अधिक खर्च करने पर बजाय आमदनी बढने के घटने लगेगी।



    धन के ठहराव के लिए :

    आप जो भी धन मेहनत से कमाते हैं उससे ज्यादा खर्च हो रहा हो अर्थात घर में धन का ठहराव न हो तो ध्यान रखें को आपके घर में कोई नल लीक न करता हो ! अर्थात पानी टपदृटप टपकता न हो ! और आग पर रखा दूध या चाय उबलनी नहीं चाहिये ! वरना आमदनी से ज्यादा खर्च होने की सम्भावना रह्ती है !

    ॰ घर में समृद्धि लाने हेतु घर के उत्तरपश्चिम के कोण (वायव्य कोण) में सुन्दर से मिट्टी के बर्तन में कुछ सोने-चांदी के सिक्के, लाल कपड़े में बांध कर रखें। फिर बर्तन को गेहूं या चावल से भर दें। ऐसा करने से घर में धन का अभाव नहीं रहेगा।

    ॰ घर में स्थायी सुख-समृद्धि हेतु पीपल के वृक्ष की छाया में खड़े रह कर लोहे के बर्तन में जल, चीनी, घी तथा दूध मिला कर पीपल के वृक्ष की जड़ में डालने से घर में लम्बे समय तक सुख-समृद्धि रहती है और लक्ष्मी का वास होता है।

    ॰ घर में बार-बार धन हानि हो रही हो तों वीरवार को घर के मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़क कर गुलाल पर शुद्ध घी का दोमुखी (दो मुख वाला) दीपक जलाना चाहिए। दीपक जलाते समय मन ही मन यह कामना करनी चाहिए की ृभविष्य में घर में धन हानि का सामना न करना पड़े´। जब दीपक शांत हो जाए तो उसे बहते हुए पानी में बहा देना चाहिए।

    ॰ काले तिल परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार उसार कर घर के उत्तर दिशा में फेंक दें, धनहानि बंद होगी।

    ॰ घर की आर्थिक स्थिति ठीक करने के लिए घर में सोने का चौरस सिक्का रखें। कुत्ते को दूध दें। अपने कमरे में मोर का पंख रखें।

    ॰ अगर आप सुख-समृद्धि चाहते हैं, तो आपको पके हुए मिट्टी के घड़े को लाल रंग से रंगकर, उसके मुख पर मोली बांधकर तथा उसमें जटायुक्त नारियल रखकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर देना चाहिए।

    ॰ अखंडित भोज पत्र पर 15 का यंत्र लाल चन्दन की स्याही से मोर के पंख की कलम से बनाएं और उसे सदा अपने पास रखें।

    ॰ व्यक्ति जब उन्नति की ओर अग्रसर होता है, तो उसकी उन्नति से ईर्ष्याग्रस्त होकर कुछ उसके अपने ही उसके शत्रु बन जाते हैं और उसे सहयोग देने के स्थान पर वे ही उसकी उन्नति के मार्ग को अवरूद्ध करने लग जाते हैं, ऐसे शत्रुओं से निपटना अत्यधिक कठिन होता है। ऐसी ही परिस्थितियों से निपटने के लिए प्रातरूकाल सात बार हनुमान बाण का पाठ करें तथा हनुमान जी को लड्डू का भोग लगाएँ और पाँच लौंग पूजा स्थान में देशी कर्पूर के साथ जलाएँ। फिर भस्म से तिलक करके बाहर जाएँ। यह प्रयोग आपके जीवन में समस्त शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम होगा, वहीं इस यंत्र के माध्यम से आप अपनी मनोकामनाओं की भी पूर्ति करने में सक्षम होंगे।

    ॰ कच्ची धानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें। अनिष्ट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा।

    ॰ अगर अचानक धन लाभ की स्थितियाँ बन रही हो, किन्तु लाभ नहीं मिल रहा हो, तो गोपी चन्दन की नौ डलियाँ लेकर केले के वृक्ष पर टाँग देनी चाहिए। स्मरण रहे यह चन्दन पीले धागे से ही बाँधना है।

    ॰ अकस्मात् धन लाभ के लिये शुक्ल पक्ष के प्रथम बुधवार को सफेद कपड़े के झंडे को पीपल के वृक्ष पर लगाना चाहिए। यदि व्यवसाय में आकिस्मक व्यवधान एवं पतन की सम्भावना प्रबल हो रही हो, तो यह प्रयोग बहुत लाभदायक है।

    ॰ अगर आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हों, तो मन्दिर में केले के दो पौधे (नर-मादा) लगा दें।

    ॰ अगर आप अमावस्या के दिन पीला त्रिकोण आकृति की पताका विष्णु मन्दिर में ऊँचाई वाले स्थान पर इस प्रकार लगाएँ कि वह लहराता हुआ रहे, तो आपका भाग्य शीघ्र ही चमक उठेगा। झंडा लगातार वहाँ लगा रहना चाहिए। यह अनिवार्य शर्त है।

    ॰ देवी लक्ष्मी के चित्र के समक्ष नौ बत्तियों का घी का दीपक जलाएँ। उसी दिन धन लाभ होगा।

    ॰ एक नारियल पर कामिया सिन्दूर, मोली, अक्षत अर्पित कर पूजन करें। फिर हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा आएँ। धन लाभ होगा।

    ॰ पीपल के वृक्ष की जड़ में तेल का दीपक जला दें। फिर वापस घर आ जाएँ एवं पीछे मुड़कर न देखें। धन लाभ होगा।

    ॰ प्रातरूकाल पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएँ तथा अपनी सफलता की मनोकामना करें और घर से बाहर शुद्ध केसर से स्वस्तिक बनाकर उस पर पीले पुष्प और अक्षत चढ़ाएँ। घर से बाहर निकलते समय दाहिना पाँव पहले बाहर निकालें।

    एक हंडिया में सवा किलो हरी साबुत मूंग की दाल, दूसरी में सवा किलो डलिया वाला नमक भर दें। यह दोनों हंडिया घर में कहीं रख दें। यह क्रिया बुधवार को करें। घर में धन आना शुरू हो जाएगा।

    ॰ प्रत्येक मंगलवार को 11 पीपल के पत्ते लें। उनको गंगाजल से अच्छी तरह धोकर लाल चन्दन से हर पत्ते पर 7 बार राम लिखें। इसके बाद हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा आएं तथा वहां प्रसाद बाटें और इस मंत्र का जाप जितना कर सकते हो करें। ृजय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करो गुरू देव की नांई´ 7 मंगलवार लगातार जप करें। प्रयोग गोपनीय रखें। अवश्य लाभ होगा।

    ऋग्वेद (4/32/20&21) का प्रसिद्ध मन्त्र इस प्रकार है - "ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुतरू पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।" (हे लक्ष्मीपते ! आप दानी हैं, साधारण दानदाता ही नहीं बहुत बड़े दानी हैं। आप्तजनों से सुना है कि संसारभर से निराश होकर जो याचक आपसे प्रार्थना करता है उसकी पुकार सुनकर उसे आप आर्थिक कष्टों से मुक्त कर देते हैं - उसकी झोली भर देते हैं। हे भगवान मुझे इस अर्थ संकट से मुक्त कर दो।)
 निम्न मन्त्र को शुभमुहूर्त्त में प्रारम्भ करें। प्रतिदिन नियमपूर्वक 5 माला श्रद्धा से भगवान् श्रीकृष्ण का ध्यान करके, जप करता रहे     - “ॐ क्लीं नन्दादि गोकुलत्राता दाता दारिर्द्यभंजन।सर्वमंगलदाता च सर्वकाम प्रदायकरू। श्रीकृष्णाय नम: ॰

                  भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष भरणी नक्षत्र के दिन चार

         घड़ों में पानी भरकर किसी एकान्त कमरे में रख दें। अगले दिन जिस घड़े का पानी कुछ कम हो उसे अन्न से भरकर प्रतिदिन विधिवत पूजन करते रहें। शेष घड़ों के पानी को घर, आँगन, खेत आदि में छिड़क दें। अन्नपूर्णा देवी सदैव प्रसन्न रहेगीं।


              
आर्थिक समस्या के छुटकारे के लिए :

     यदि आप हमेशा आर्थिक समस्या से परेशान हैं तो इसके लिए आप 21 शुक्रवार 9 वर्ष से कम आयु की 5 कन्यायों को खीर व मिश्री का प्रसाद बांटें !


            घर और कार्यस्थल में धन वर्षा के लिए :

    इसके लिए आप अपने घर, दुकान या शोरूम में एक अलंकारिक फव्वारा रखें ! या

    एक मछलीघर जिसमें 8 सुनहरी व एक काली मछ्ली हो रखें ! इसको उत्तर या उत्तरपूर्व की ओर रखें ! यदि कोई मछ्ली मर जाय तो उसको निकाल कर नई मछ्ली लाकर उसमें डाल दें !


          घर में स्थिर लक्ष्मी के वास के लिए :

     चक्की पर गेहूं पिसवाने जाते समय तुलसी के ग्यारह पत्ते गेहूं में डाल दें। एक लाल थैली में केसर के २ पत्ते और थोड़े से गेहूं डालकर मंदिर में रखकर फिर इन्हें भी पिसवाने वाले गेंहू में मिला दें, धन में बरकत होगी और घर में स्थ्रि लक्ष्मी का वास होगा। आटा केवल सोमवार या शनिवार को पिसवाएं।

       घर मे धन की बरक्कत के लिये टोटका

सबसे छोटे चलने वाले नोट का एक त्रिकोण पिरामिड बनाकर घर के धन स्थान में रख दीजिये,जब धन की कमी होने लगे तो उस पिरामिड को बायें हाथ में रखकर दाहिने हाथ से उसे ढककर कल्पना कीजिये कि यह पिरामिड घर में धन ला रहा है,कहीं से भी धन का बन्दोबस्त हो जायेगा, लेकिन यह प्रयोग बहुत ही जरूरत में कीजिये।



आज के युग में सबसे महत्वपूर्ण धन प्राप्ति का कार्य है। कई लोग ऐसे हैं कि किन्हीं अज्ञात कारणों से उनके धन प्राप्ति में कोई रोड़ा अटकाते हैं। इन उपायों (नियमित) से आप अपने घर में लक्ष्मी का स्थायी वास कर सकते हैं-
(1) सप्ताह में एक बार समुद्री नमक से पोछा लगाने से घर में शांति रहती है। घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर घर में झगड़े भी नहीं होते हैं तथा लक्ष्मी का वास स्थायी रहता है।

(2)
जिस घर में नियमित रूप से अथवा हर शुक्रवार को श्रीसुक्त अथवा लक्ष्मीसुक्त का पाठ होता है वहाँ स्थायी लक्ष्मी का वास होता है।

(3)
यदि आप गुरुवार को पीपल में सादा जल चढ़ाकर घी का दीपक जलाएँ तथा शनिवार को गुड़ तथा दूध मिश्रित जल पीपल को चढ़ाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएँ तो आप कभी भी आर्थिक रूप से परेशान नहीं होंगे।

4)
प्रत्येक पूर्णिमा को कंडे के उपले को जलाकर किसी मंत्र से 108 बार आहुति से धार्मिक भावना उत्पन्न होती है।

(5)
कंडे के उपले को जलाकर लोभान को रखकर माह में दो बार धुएँ को पूरे घर में घुमाएँ।

(6)
प्रत्येक अमावस्या को घर की सफाई की जाए। फालतू सामान बेच दें तथा घर के मंदिर में पाँच अगरबत्ती लगाएँ।

(
इन उपायों में से किसी एक, दो या तीन उपाय को नियमित करके देखें आप आर्थिक स्थायी संपन्नता पा सकेंगे।)

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