आज बोलें ये विष्णु व शिव मंत्र..बढ़ेगा पैसा़ और कद

जब तन किसी भी कारण से कर्म से दूर होता है, तो धीरे-धीरे मन निराशा और असफलताओं से घिरने लगता है। जिससे बोल व व्यवहार में पैदा अनेक दोष जीवन को सही दिशा से भटकाते हैं। टूटे मनोबल और संकीर्ण सोच की यह स्थिति कुंठा कहलाती है। कुंठा से बचकर सुख व समृद्ध जीवन पाने के लिए ही आलस्य से दूर रहना ही बेहतर उपाय माना गया है।

हिन्दू धर्म में बैकुण्ठ लोक भगवान विष्णु का निवास व सुख का धाम ही माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक बैकुण्ठ लोक चेतन्य, दिव्य व प्रकाशित है।  कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी बैकुंठ चतुर्दशी के रूप में ही प्रसिद्ध है। माना जाता है कि भगवान शंकर ने भगवान विष्णु के तप से प्रसन्न होकर इस दिन पहले विष्णु और फिर उनकी पूजा करने वाले हर भक्त को बैकुठ प्राप्ति का आशीर्वाद दिया।

दरअसल, बैकुंठ का शाब्दिक अर्थ कुण्ठा से परे भी होता है। यह प्रसंग और शुभ अवसर सांसारिक जीवन के लिए ज्ञान, कर्म और संकल्प द्वारा मन व बुद्धि को जगाकर जीवन में कर्महीनता रूपी कुण्ठा से मुक्त होकर तमाम सुख-वैभव बंटोरने का अहम सूत्र सिखाता है। जगत पालक विष्णु और कल्याणकारी देवता शिव की भक्ति में यही संकेत है।

शास्त्रों के मुताबिक इस दिन शिव और विशेष विष्णु मंत्रों के ध्यान से शक्ति व लक्ष्मी की प्रसन्नता भी मिलती है। जिससे सांसारिक कामनाओं जैसे दौलत, यश, प्रतिष्ठा और हर सुख की कामनासिद्धि जल्द होती हैं। जानते हैं ये मंत्र विशेष -

- इस दिन सुबह व शाम के वक्त भगवान विष्णु व उनके बाद शिवलिंग या शिव की प्रतिमा की पंचोपचार पूजा करें।

- भगवान विष्णु को केसरिया चंदन मिले जल से स्नान कराएं। स्नान के बाद चंदन, पीले वस्त्र, पीले फूल वहीं शिवलिंग पर दूध मिले जल से स्नान के बाद सफेद आंकड़े के फूल, अक्षत, बिल्वपत्र और दूध से बनी मिठाईयों का भोग लगाकर चंदन धूप व गो घृत जलाकर भगवान विष्णु और शिव का नीचे लिखे मंत्रों से स्मरण करें -

विष्णु मंत्र -

पद्मनाभोरविन्दाक्ष: पद्मगर्भ: शरीरभूत्।

महर्द्धिऋद्धो वृद्धात्मा महाक्षो गरुडध्वज:।।

अतुल: शरभो भीम: समयज्ञो हविर्हरि:।

सर्वलक्षणलक्षण्यो लक्ष्मीवान् समितिञ्जय:।।

शिव मंत्र -

वन्दे महेशं सुरसिद्धसेवितं भक्तै: सदा पूजितपादपद्ममम्।

ब्रह्मेन्द्रविष्णुप्रमुखैश्च वन्दितं ध्यायेत्सदा कामदुधं प्रसन्नम्।।

- मंत्र स्मरण के बाद खासतौर पर दोनों देवताओं को कमल फूल भी अर्पित करें। पूजा व मंत्र जप के बाद विष्णु व शिव या त्रिदेव की धूप, दीप व कर्पूर आरती कर घर के द्वार पर दीप प्रज्जवलित भी करें।


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