यह अचूक शिव मंत्र पलों में खत्म करे बड़े से बड़ा संकट

भगवान शिव महाकाल भी पुकारे जाते हैं। उनका यह स्वरूप काल भय से मुक्त करने वाला माना गया है। शिव के इस अद्भुत स्वरूप की उपासना का फल मात्र काल या मृत्यु को टालने के ही अर्थ में नहीं है, बल्कि संदेश है कि शिव भक्ति काल यानी वक्त को भी अनुकूल बनाने वाली है।

सांसारिक जीवन में किसी भी रूप में आया दु:ख या संकट का समय बड़ा कठिन होता है। ऐसे ही बुरे वक्त, हालात या बदहाली से बचने के लिए शिव उपासना प्रभावी मानी गई है। क्योंकि शिव भक्ति का मूल भाव ही शुभ व कल्याण को अपनाना है। अच्छाई का संग मिलते ही बुराई का अंत होता है। ऐसे ही भावों से शिव पुराण में आए एक मंत्र का ध्यान मात्र ही हर संसारी जीव के लिए बड़ा ही संकटमोचक व मंगलकारी माना गया है।

शिव पुराण के मुताबिक दानवी शक्तियों पर विजय व जगत कल्याण के भाव से देवताओं ने इस मंत्र से ही शिव की प्रसन्नता व कृपा पाई। हर प्रदोष व चतुर्दशी तिथि (8 और 9 नवम्बर) पर शिव भक्ति की विशेष घड़ी में तो इस आसान व अचूक शिव मंत्र का स्मरण तो पलों में दु:ख व दरिद्रता दूर करने वाला माना गया है।

जानते हैं यह शिव मंत्र व आसान विधि -

- प्रदोष या चतुर्दशी तिथि की शाम स्नान के बाद यथासंभव सफेद वस्त्र पहन शिवालय में गाय के दूध मिले पवित्र जल में अक्षत, तिल व सफेद चंदन मिलाकर नीचे लिखें मंत्र से शिवलिंग पर जलधारा अर्पित कर चंदन, बिल्वपत्र, फूल, जनेऊ  व दूध या मावे की मिठाई का भोग लगाकर शिव की धूप, दीप, क र्पूर आरती कर कष्टों से छुटकारे या संकटमुक्त जीवन की कामना करें -

ऊँ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरु कुरु शिवाय नम: ऊँ

- शिवलिंग पर चढ़ाए जल को चरणामृत रूप में ग्रहण करें व थोड़ा जल लाकर घर के हर कोने में छिड़कें।

- इस मंत्र का रुद्राक्ष की माला से यथाशक्ति जप भी मनोरथसिद्धि करने वाला होता है।

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