इस मंत्र की अद्भुत शक्ति से हर काम में मिले सफलता                                                 असफलता इंसान को निराश जरूर करती है, किंतु यह सफलता पाने का सबक भी दे जाती है। इसलिए हताश होने की जगह नाकामी के कारणों को सामने रख विचार करें तो सफलता में बाधा बने कारण समझ आ जाते हैं।

इन बाधाओं को व्यावहारिक रूप से दूर करने के साथ-साथ अगर धार्मिक उपायों को भी अपनाया जाए तो देव उपासना से ईश्वर के प्रति विश्वास सफलता के इरादों को ओर मजबूत करता है।

देव उपासना की इसी कड़ी में शक्ति उपासना के विशेष दिन शुक्रवार को जगतजननी दुर्गा की उपासना बाधा और संकटनाशक मानी गई है। जिसके लिये मंत्र विशेष का जप बहुत ही प्रभावी माना गया है।

देवी के ये सरल मंत्र गहरी व्यस्तता में भी समय निकालकर बोले जा सकते हैं। जानते हैं एक ऐसा ही मंत्र जो सभी तरह की बाधाओं का नाश कर कामयाब बनाता है -

- शुक्रवार के दिन प्रात: स्नान कर देवी दुर्गा या नवदुर्गा के किसी भी रूप की प्रतिमा की सामान्य पूजा करें। जिसमें विशेष रूप से लाल पूजा सामग्रियों में लाल गंध, लाल चंदन, लाल अक्षत, लाल फूल, लाल वस्त्र अर्पित करें। नैवेद्य समर्पित करें।

- सुगंधित अगरबत्ती या गुग्गल धूप और दीप जलाकर नीचे लिखें मंत्र का यथाशक्ति जप करें -

सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यंसुतान्वित:।

मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय।।

- हवन व पूजा की जानकारी होने पर 2100 आहूति व 5000 मंत्र जप का विधान है। पूजा व मंत्र जप, हवन के बाद देवी आरती कर हर रुकावटों और संकटों को दूर करने की प्रार्थना करें।

अगर आपकी धर्म और उपासना से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।

 

 

 

 

2.      टोटका: सौभाग्य दस्तक देगा आपके घर

जब भी किसी व्यक्ति का कोई काम नहीं बनता तो वह अपने भाग्य को ही दोष देता नजर आता है लेकिन उसे सुधारने का प्रयास नहीं करता । ऐसा नहीं है कि आपका भाग्य यदि खराब है तो उसे बदला नहीं जा सकता है। कुछ साधारण उपाय कर दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है। ऐसा ही एक टोटका नीचे दिया गया है, जिसे करने से आपका दुर्भाग्य आपका साथ छोड़ देगा।

टोटका

-
सूर्यास्त के समय रोज आधा किलो कच्चे दूध में नौ बूंद शुद्ध शहद मिलाकर मकान की सबसे ऊपरी छत पर पहुंचे।

-
वहां से नीचे आते हुए सभी कमरों आदि में दूध के छीटें मारते हुए मकान के दरवाजे से बाहर निकल जाएं और चौराहों पर दूध का बर्तन रखकर घर की शुद्धि हो जाती है। इस कार्य को करते समय कोई टोके नहीं।

-
चौराहे पर दूध का बर्तन रखने के बाद पलटकर न देखें। इस टोटके से परिवार में हर तरह की सुख समृद्धि हो जाती है और दुर्भाग्य आपका साथ छोड़ देता है।

यदि दूध गाय का हो तो श्रेष्ठ रहता है।


03 प्रेत बाधा से छुटकारा पाएं इस टोटके से

ऐसा कई बार सुनने में आता है कि किसी व्यक्ति के ऊपर किसी प्रेत का असर हो गया या किसी व्यक्ति पर हवा का प्रकोप है। ऐसे व्यक्ति कुछ भी अपनी मर्जी से नहीं करते। वह तो केवल उस नकारात्मक शक्ति के वश में होकर काम करते हैं। प्रेत बाधा से मुक्ति पाने का एक आसान टोटका इस प्रकार है-

शनिवार के दिन दोपहर को सवा दो किलो बाजरे का दलिया तैयार करें। उसमें थोड़ा गुड़ मिला दें। मिट्टी की एक हांडी में उस दलिए को डालकर सूर्यास्त के समय उस हांडी को पीडि़त व्यक्ति के पूरे शरीर पर बाएं से दाएं सात बार घुमाकर चौराहे पर रख आएं। जाते और आते समय न तो पीछे मुड़कर देखें और न ही किसी से बात करें। टोटका करते समय घर का कोई भी व्यक्ति सामने न आए बात का विशेष ध्यान रखें।





लक्ष्मी का यह आसान मंत्र जप देता है अपार प्रतिष्ठा और पैसा

सांसारिक जीवन में सुखी रहने के लिये धन, पद और मान-सम्मान पाने की चाहत हर इंसान की होती है। लेकिन इन तीनों को पाना इतना आसान भी नहीं है। क्योंकि यह सब एक साथ मिलना पुरुषार्थ से जुडऩे और स्वार्थ भाव से परे होकर ही संभव होता है, जो व्यावहारिक जीवन में हर इंसान के लिये संभव नहीं हो पाता। इसके लिये ज्ञान, अनुशासन और संयम बहुत जरूरी होता है।

शास्त्रों में जीवन को अनुशासित करने के लिये देव उपासना का महत्व बताया गया है। देव उपासना में भी सुख-संपन्नता, धन, ऐश्वर्य, यश प्राप्ति के लिये महालक्ष्मी की उपासना शुभ फलदायी मानी गई है।

यहां बताया जा रहा है लक्ष्मी उपासना का एक आसान मंत्र सुखों की सारी कामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है। जिसका स्मरण आप सुबह-शाम मात्र महालक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर पर गंध, फूल चढ़ाकर और अगरबत्ती लगाकर आस्था और पवित्र भाव से करें -

-
मंत्र जप के पूर्व तन व मन की पवित्रता जरूर रखें। मंत्र है -

क्षीरदायै धनदायै बुद्धिदायै नमो नम:।

यशोदायै कीर्तिदायै धर्मदायै नमो नम:।।

-
माता लक्ष्मी को यथासंभव दूध से बने पकवानों का भोग लगाएं और प्रसाद स्वयं व परिवार के सदस्य ग्रहण करें।

धन की कामना है.. शुक्रवार को लक्ष्मी को इस मंत्र से लगाएं लाल चन्दन

जहां व्यवस्था और पावनता होती है, वहां खुशहाली भी आ बसती है। शास्त्रों में बताए श्री शब्द के पीछे भी यही भाव है। धार्मिक आस्था से लक्ष्मी कृपा को ही श्री पुकारा जाता है। बेहद सरल शब्दों में कहें तो माता लक्ष्मी की उपासना सुंदरता प्रदान करती है। यह खूबसूरती मन, वचन, कर्म, व्यवहार की पावनता, ऐश्वर्य, शांति और सुखों के रूप में प्राप्त होती है।

असल में कर्म, व्यवहार में विकृति और गंदगी दु:ख-दरिद्रता या अभाव का कारण बनती है। किंतु शरीर, मन, विचार या व्यवहार की पवित्रता सुख-संपन्नता देने वाली होती है, जिसे लक्ष्मी कृपा के रूप में जाना जाता है। 

अगर आप भी लक्ष्मी कृपा की कामना रखते हैं तो देवी लक्ष्मी उपासना के विशेष दिन शुक्रवार को यहां बताया जा रहा एक सरल उपाय न चूकें। माता लक्ष्मी सुख-समृद्धि, धन और ऐश्वर्य की देवी मानी गई है। इस सरल उपाय से लक्ष्मी को प्रसन्न कर सुख-संपन्नता की कामना पूरी की जा सकती है -

-
शुक्रवार के दिन शाम के वक्त स्नान कर लक्ष्मी मंदिर या घर के देवालय में माता लक्ष्मी की प्रतिमा की पूजा करें।

-
देवी लक्ष्मी पूजा में लाल सामग्रियों का विशेष महत्व है। इसी कड़ी में देवी लक्ष्मी को अन्य पूजा सामग्रियों के अर्पण से पहले नीचे लिखें मंत्र के साथ विशेष रूप से लाल चंदन लगाएं -

रक्तचंदनंसम्मिश्रं पारिजातसमुद्भवम्।

मयादत्तं महालक्ष्मी चन्दनं प्रतिग्रह्यताम्।।

-
लाल चंदन अर्पण के बाद शेष पूजा सामग्री, लाल फूल, लाल अक्षत, लाल वस्त्र, नारियल, नैवेद्य अर्पित करें।

-
लक्ष्मी स्तुति या लक्ष्मी मंत्रों का स्मरण कर देवी की सुगंधित धूप व गोघृत के दीप से आरती करें।

-
अंत में अपार सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पूजा, मंत्र जप, आरती में हुई त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थना करें।

जो होना चाहते हैं धनवान, वो करें इस मंत्र का ध्यान

धन हो तो जीवन में हर सुख मिल सकता है जबकि धन के अभाव हमारे अपने ही हमारा तिरस्कार कर देते हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो धन प्राप्ति के लिए अथक प्रयास करते हैं लेकिन फिर भी लक्ष्मी उनके पास ठहरती नहीं है। ऐसे लोग सदैव धन के अभाव के कारण परेशानी में ही जीवन व्यतीत करते हैं। श्रीसूक्त में वर्णित श्लोक का यदि विधि-विधान से पाठ किया तो देवी लक्ष्मी अति प्रसन्न होती है और जीवन में फिर कभी धन की कमी नहीं होती। यह मंत्र तथा इसके जप के विधि इस प्रकार है-


मंत्र

कांसोस्मितां हिरण्यप्रकारामाद्र्रां ज्वलंतीं तृप्तां तपर्यन्तीम्।

पद्मेस्थितां पद्मवर्णों तामिहोप ह्ये श्रियम।।


जप विधि

-
रोज सुबह स्नान आदि के बाद माता लक्ष्मी की तस्वीर को सामने रखें।

-
मां लक्ष्मी को कमल पुष्प अर्पित करें।

-
गाय के घी का दीपक लगाएं और मंत्र का जप पूर्ण श्रृद्धा व विश्वास के साथ करें।

-
प्रतिदिन पांच माला जप करने से उत्तम फल मिलता है।

-
आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है।

-
एक ही समय, आसन व माला हो तो यह मंत्र शीघ्र ही प्रभावशाली हो जाता है।

रुद्राक्ष के तंत्र प्रयोगों से दूर करें परेशानी

रुद्राक्ष का नाम लेते ही सहसा भगवान शंकर का स्वरूप मन-मनस्तिष्क में उभर जाता है चूंकि रुद्राक्ष भगवान शंकर का मुख्य आभूषण है। रुद्राक्ष के अनेक प्रकार होते हैं। इनमें कई चमत्कारिक शक्तियां होती हैं। रुद्राक्ष का उपयोग तंत्र प्रयोगों में भी किया जाता है। रुद्राक्ष के कुछ साधारण तंत्र प्रयोग इस प्रकार है-

1-
एक ही जैसे मुख वाले रुद्राक्ष की शुद्ध व शोधित माला पहनने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

2-
यदि रुद्राक्ष को गले में धारण करें तो भूत, प्रेत, हवा आदि नकारात्मक शक्तियां इसके प्रभाव से पास भी नहीं फटकती।

3-
एक लोटा पानी में ऊँ नम: शिवाय का जप करते हुए पांच रुद्राक्ष डालकर शाम को रख दें। सुबह वह पानी पीने से पेट की सभी बीमारियां दूर हो जाएंगी। यदि ऐसा रोज करें तो शरीर की दुर्बलता दूर हो जाएगी।

4-
जिस बच्चे को रात में डर लगता है या जो रात में चिहुंक कर उठ जाता है उसे रुद्राक्ष पहनने से यह समस्या दूर हो जाती है।

5-
रुद्राक्ष को चंदन की तरह घीस लें और उसका तिलक करें। इस तिलके के प्रभाव से आप जिससे भी बात करेंगे वह आपसे प्रभावित हुए बिना नहीं रहेगा।


अगर अपनी वाणी को बनाना है प्रभावशाली तो ये करें....

अध्यात्म में एक प्यारा शब्द है आत्मानुभव। यह एक स्थिति है। यहां पहुंचते ही मनुष्य में साधुता, सरलता, सहजता और समन्वय की खूबियां जाग जाती हैं। उपवास में बहुत से लोग मौन का प्रयोग करते हैं। आत्मानुभव के लिए मौन एक सरल सीढ़ी है।

भीतर घटा मौन बाहर वाणी के नियंत्रण के लिए बड़ा उपयोगी है। जैसे ही वाणी नियंत्रित होती है हम दूसरों के प्रति प्रतिकूल शब्द फेंकना बंद कर देते हैं। शब्द भी भीतर से उछाले लेते हैं और बाहर आकर निंदा के रूप में बिखरते हैं। ऐसे शब्दों का रूख अपनी ओर मोड़ दें, अपने ही विरोध में कहे गए शब्द आत्म विश्लेषण का मौका देंगे।

जितना सटीक आत्म विश्लेषण होगा उतना ही अच्छा आत्मानुभव रहेगा। मन को आत्म विश्लेषण करना ना पसंद है। इसलिए वह हमेशा अपने भीतर भीड़ भरे रखता है। विचारों की भीड़, मन को खूब प्रिय है। फिर विचारों की भीड़ तो इन्सानों की बेकाबू भीड़ से भी ज्यादा खतरनाक होती है।

ऐसा भीड़भरा मन मनुष्य के भीतर से तीन बातों को सोख लेता है- प्रेम, चेतना और जीवन को। प्रेमहीन व्यक्ति सिर्फ स्वार्थ और हिंसा के निकट ही जीएगा। चेतना को तो भीड़भरा मन जागृत ही नहीं होने देता। भीतर इतना शोर होता है कि इस विचार-भीड़ की चेतना की आवाज ही सुनाई नहीं देती। यहीं से एक बेहोश व्यक्ति जीवन चलाने लगता है।

हमें लगता है कि हम जिन्दा हैं, परन्तु दरअसल में हम तो बेहोशी में ही सारे काम कर रहे होते हैं। हमारा जीवन उस समय एक कृत्य न होकर धक्का भर है। होश में आने के लिए नवरात्रा से अच्छा समय फिर नहीं मिलेगा।

3 राशियों पर रहती है शनि की साढ़ेसाती और 2 राशियों पर ढैय्या

शनि एक मात्र ऐसा ग्रह है जो सीधे-सीधे एक साथ पांच राशियों को पूरी तरह प्रभावित करता है। इन राशियों में तीन राशियों पर शनि की साढ़े साती होती है और दो राशियों पर शनि की ढैय्या। शनि अभी कन्या राशि में स्थित है और इसी साल नवंबर में शनि कन्या से तुला राशि में प्रवेश करेगा।



ज्योतिष के अनुसार 12 राशियां बताई गई हैं और सभी लोग इन्हीं 12 राशियों में ही विभाजित हैं। शनि ग्रह एक साथ एक समय में 5 राशियों पर सीधा-सीधा प्रभाव साढ़ेसाती और ढैय्या के रूप में डालता है। इसी वजह से 12 में 5 राशियां यानि 40 प्रतिशत से अधिक लोगों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या रहती है।

शनि की साढ़ेसाती का मतलब यह है किसी राशि को शनि साढ़े सात साल तक प्रभावित करता है। वैसे तो शनि किसी भी राशि में ढाई वर्ष (2 साल 6 माह) ही रुकता है परंतु इसका प्रभाव आगे और पीछे वाली राशियों पर भी समान रूप से पड़ता है।



उदाहरण के लिए अभी शनि कन्या राशि में है तो कन्या राशि के पहले की राशि सिंह और बाद की राशि तुला पर भी शनि का प्रभाव रहेगा। इस तरह प्रति राशि के ढाई वर्ष के अनुसार एक राशि को शनि साढ़े सात वर्ष प्रभावित करता है। शनि की साढ़े साती को तीन हिस्सो में विभक्त किया जाता है। एक-एक भाग ढाई-ढाई वर्ष का होता है।



शनि की ढैय्या:


शनि की ढैय्या अर्थात् किसी राशि पर शनि का प्रभाव ढाई साल तक रहना। शनि जिस राशि में स्थित है उस राशि से ऊपर की ओर चौथी राशि और नीचे की ओर छठी राशि में भी शनि की ढैय्या रहती है।



उदाहरण के लिए अभी शनि कन्या राशि में स्थित है तो उसकी ढैय्या कन्या से ऊपर की ओर चौथी राशि मिथुन और नीचे की ओर छठी राशि कुंभ पर उसकी ढैय्या रहेगी।

अपनी अंगुलियों का आकार से जानें स्वभाव और भविष्य

क्या आप जानते हैं कि हस्तज्योतिष के अनुसार किसी व्यक्ति के अंगुलियों के सिर्फ अग्रभाग के आकार को देखकर भी उसके बारे में भविष्य कथन किया जा सकता है। जानिए कि कैसे आप सिर्फ किसी की अंगुलियों के आकार को देखकर भी जान सकते है उसका स्वभाव और भविष्य-

तीखी अंगुलियां- तीखी अंगुलियों के अग्रभाग तीखे होते हैं, वे लोग समाज में अग्रणी होती हैं। ऐसे व्यक्ति दार्शनिक होते हैं। बहुत समझदार होते हैं। इनके जीवन का सफलता कम ही रहती है क्योंकि ये लोग अक्सर कल्पनाओं में खोए रहते हैं।

चपटी अंगुलियां- चपटी अंगुलियां कार्यकुशलता और फूर्ती का की सूचक होती है। ऐसे व्यक्ति अपने कार्यों में बराबर लगे रहते हैं। ऐसे व्यक्ति आत्मविश्वास से भरपूर होते हैं। आत्मविश्वास के बल पर ही हर काम में सफलता प्राप्त करते हैं। ऐसे लोग हर चीज सीखने का प्रयास करते हैं। अपने कार्यों से समाज में नया योगदान देने में सफल रहते हैं।नुकीली अंगुलियां- ये अंगुलियां सुन्दर विचारों और सुन्दर कार्यों की ओर इशारा करती हैं। इन लोगों के जीवन में उतार-चढ़ाव बने रहते हैं। कभी ये खुशी की चरम सीमा पर होते हैं तो कभी ज्यादा निराश होता है।

वर्गाकार अंगुलियां- जिन व्यक्तियों के हाथों वर्गाकार अंगुलियां होती है।व्यक्ति जीवन में हर काम प्लानिंग के साथ करते हैं। ऐसे लोग अपनी हर एक योजना पर बहुत ज्यादा सोच विचार करते हैं। इनके हर काम में नियमितता रहती है इसीलिए ये सफलता प्राप्त करते हैं।
 सफलता का मंत्रा ‘ 1- कभी टॉप न करो , वर्ना लोग तुमसे जलने लगेंगे। 2- हमेशा क्लास में लेट आओ , इस तरह हर टीचर तुम्हें याद रखेगा। 3- ज्यादा पढ़ने से टाइम वेस्ट होता है और टाइम वेस्ट करना गुनाह है। 4- कभी टेस्ट न दो क्योंकि बेइज्जती के दो नंबर से इज्जत का जीरो अच्छा है।


क्या बात है

किनारे पर खड़ा जहाज सबसे सुरक्षित होता है। लेकिन क्या जहाज इसलिए बनाए जाते हैं। जीवन में चुनौतियां लेने की ताकत ही आपकी क्षमताओं को तय करती है।

धन वशीकरण का गुप्त उपाय

इस भौतिकता प्रधान युग में यदि इंसान के पास पर्याप्त धन, उत्तम स्वास्थ्य, समाज में प्रतिष्ठा और परिचितों में मान-सम्मान हो तो फिर स्वर्ग की कामना कोई क्यों करे। ये कुछ ऐसी इनायतें हैं जो किसी नसीब वाले को ही हांसिल होती हैं। लेकिन किसी का पुरुषार्थ तो तभी सार्थक है जब वह अपना नसीब खुद ही रचे। हर मंजिल तक पहुंचने का एक सार्टकट तरीका जरूर होता है। टोटका भी ऐसा ही लघुमार्ग है। आजमाएं इन टोटकों को जो, बेहद मददगार हैं-धन और यश प्राप्ति हेतु:  पुष्य नक्षत्र अथवा अन्य किसी सुभ मुहूर्त में सफेद आक की जड़ किसी ताबीज में भरकर धारण करें। धारण करने से पूर्व पंचोपचार से उसका पूजन करें। साथ ही नीचे दिये गए मंत्र का १०८ बार जप करें। कार्य में वांक्षित सफलता मिलने तक नियमित रूप से सूर्योदय से पूर्व पीपल वृक्ष की जड़ों में जल चढ़ाएं।


यह फूल नहीं किस्मत की चाबी है

तंत्र क्रियाओं के अंतर्गत कई प्रकार की वनस्पतियों का उपयोग भी किया जाता है। नागकेसर के फूल का उपयोग भी तांत्रिक क्रियाओं में किया जाता है। नागकेसर को तंत्र के अनुसार एक बहुत ही शुभ वनस्पति माना गया है। काली मिर्च के समान गोल या कबाब चीनी की भांति दाने में डंडी लगी हुई लाल या सफेद के रंग का यह गोल फूल होता है। इसकी गिनती पूजा- पाठ के लिए पवित्र पदार्थों में की जाती है। तंत्र के अनुसार नागकेसर एक धनदायक वस्तु है। नीचे लिखे इस धन प्राप्ति के प्रयोग को अपनाकर आप भी धनवान बन सकते हैं-

-
किसी पूर्णिमा को सोमवार हो उस दिन यह प्रयोग करें।

-
किसी मन्दिर के शिवलिंग पर पांच बिल्वपत्रों के साथ यह फूल भी चढ़ाएं। इससे पूर्व शिवलिंग को कच्चे दूध, दही, शक्कर, घी, गंगाजल, आदि से धोकर पवित्र करें।
पांच बिल्व पत्र और नागकेशर के फूल की संख्या हर बार एक ही रखना चाहिए।

-
यह क्रिया अगली पूर्णिमा तक निरंतर रखें।

-
आखिरी दिन चढ़ाए गए फूल तथा बिल्व पत्रों में से एक अपने घर ले आएं। यह सिद्ध नागकेसर का फूल आपकी किस्मत बदल देगा तथा धन संबंधी आपकी जितनी भी समस्याएं हैं, वह सभी समाप्त हो जाएंगी।

बाथरूम में थोड़ा सा नमक और हो जाएगा सब पॉजीटिव

हमारे आसपास के वातावरण में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की शक्तियां सक्रिय रहती हैं। जो कि हम पर अपना प्रभाव डालती है। वास्तु शास्त्र इन्हीं शक्तियों के सिद्धांत पर कार्य करता है। जिस घर में नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय होती है वहां के सदस्यों में नेगेटिव विचार अधिक रहते हैं और उन्हें आर्थिक परेशानियों के साथ-साथ पारिवारिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।

वास्तु शास्त्र में जीवन को सुखी और समृद्धिशाली बनाने के लिए कई अचूक फंडे बताए गए हैं। यदि किसी घर में कई वास्तुदोष हैं और उनका सही उपाय नहीं हो पा रहा है तो बाथरूम में कटोरी साबूत या खड़ा समुद्री नमक रखें। ऐसा करने पर घर की नकारात्मक ऊर्जा निष्क्रीय हो जाएगी और सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगेंगे।

नमक में अद्भुत शक्तियां होती हैं जो सभी प्रकार के नकारात्मक प्रभावों को नष्ट कर देती हैं। इसके अलावाइससे घर दरिद्रता का भी नाश होता है और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। परिवार के सभी सदस्यों के विचार सकारात्मक होंगे जिससे उनका कार्य में लगा रहेगा। असफलताओं का दौर समाप्त हो जाएगा और सफलताएं मिलने लगेंगी।
for more detail 8607042033
Email:- Kumardushyant1983@gmail.com

मौत से भी बचा सकती है हथेली में बनी यह रेखा

जीवन का अंतिम और अटल सत्य है मौत। जिसने भी जन्म लिया है उसे एक दिन मृत्यु अवश्य ही प्राप्त होगी। श्रीकृष्ण ने कहा है कि यह शरीर नश्वर है और केवल आत्मा ही अमर है। जिस प्रकार मनुष्य कपड़े बदलता है ठीक उसी प्रकार आत्मा शरीर बदलती है। मृत्यु के संबंध में हथेली में कई इशारे होते हैं। हस्त ज्योतिष के अनुसार जीवन और मृत्यु को जीवन रेखा प्रभावित करती है।

हथेली में अंगूठे के पास एक गोल घेरे जैसी रेखा होती है जो कि मणिबंध (हथेली के अंतिम भाग) तक जाती है। यही रेखा जीवन रेखा कहलाती है। यदि यह रेखा अस्पष्ट या कटी हुई या टूटी हुई हो तो व्यक्ति को जीवन भर कई प्रकार के कष्ट झेलने पड़ते हैं। कई बार ऐसी परिस्थितियों में मृत्यु का संकट भी सामने आ जाता है। कई लोगों के हाथों में जीवन रेखा के साथ ही एक ओर रेखा दिखाई देती है, यह अंदर की ओर होती है। इसे जीवन रेखा की सहायक रेखा माना जाता है। यह रेखा वर्गाकार तथा चौड़े हाथों में हो तो वह व्यक्ति बुद्धिमान और अच्छे स्वास्थ्यवाला होता है। इसके विपरित यदि किसी निर्बल तथा फीकी जीवन रेखा के साथ पाई जाने वाली यह रेखा कई कमियों को दूर करती है। यदि जीवन रेखा कहीं से कटी हुई हो या टूटी हुई हो और उस स्थान पर मंगल रेखा एकदम स्पष्ट हो तो वह व्यक्ति को मृत्यु से बचा लेती है। जीवन रेखा के टूटने या कटने का यही संकेत होता है कि उस आयु में व्यक्ति की मृत्यु की स्थिति तक बन सकती है। यदि मंगल रेखा जीवन रेखा को काटती हुई चंद्र पर्वत जो कि अंगूठे के दूसरी ओर होता है तक जाती है तो व्यक्ति नशेबाज बन जाता है। साथ ही पूरी हथेली का गहराई परीक्षण किया जाना चाहिए तभी सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है।

पैसों की नहीं रहेगी कोई कमी, भगवान को चढ़ाएं ऐसे चावल

चावल यानि अक्षत का अर्थ होता है जो टूटा न हो। इसका रंग सफेद होता है। पूजन में अक्षत का उपयोग अनिवार्य है। किसी भी पूजन के समय गुलाल, हल्दी, अबीर और कुंकुम अर्पित करने के बाद अक्षत चढ़ाए जाते हैं। अक्षत न हो तो पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती।

शास्त्रों के अनुसार चावल का काफी महत्व बताया गया है। देवी-देवता को तो इसे समर्पित किया ही जाता है साथ ही किसी व्यक्ति को जब तिलक लगाया जाता है तब भी अक्षत का उपयोग किया जाता है। भोजन में भी चावल का उपयोग किया जाता है।

कुंकुम, गुलाल, अबीर और हल्दी की तरह इसमें कोई विशिष्टï सुगंध नहीं और न ही इसका विशेष रंग होता है। अत: मन में यह जिज्ञासा उठती है कि पूजन में अक्षत का उपयोग क्यों? दरअसल अक्षत पूर्णता का प्रतीक है। अर्थात यह टूटा हुआ नहीं होता है। अत: पूजा में अक्षत चढ़ाने का अभिप्राय यह है कि हमारा पूजन अक्षत की तरह पूर्ण हो।अन्न में श्रेष्ठ होने के कारण भगवान को चढ़ाते समय भाव यह रहता है कि जो कुछ भी अन्न हमें प्राप्त होता है वह भगवान की कृपा से ही मिलता है। अत: हमारे अंदर यह भावना भी बनी रहे। इसका सफेद रंग शांति का प्रतीक है। अत: हमारे प्रत्येक कार्य की पूर्णता ऐसी हो कि उसका फल हमें शांति प्रदान करे। इसीलिए पूजन में अक्षत एक अनिवार्य सामग्री है ताकि ये भाव हमारे अंदर हमेशा बने रहें।

भगवान को चावल चढ़ाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि चावल टूटे हुए न हों। अक्षत पूर्णता का प्रतीक है अत: सभी चावल अखंडित होने चाहिए। चावल साफ एवं स्वच्छ होने चाहिए। शिवलिंग पर चावल चढ़ाने से शिवजी अतिप्रसन्न होते हैं और भक्तों अखंडित चावल की तरह अखंडित धन, मान-सम्मान प्रदान करते हैं। श्रद्धालुओं को जीवनभर धन-धान्य की कमी नहीं होती हैं।

 
पूजन के समय अक्षत इस मंत्र के साथ भगवान को समर्पित किए जाते हैं-

अक्षताश्च सुरश्रेष्ठï कुङ्कमाक्ता: सुशोभिता:।

मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर॥   

इस मंत्र का अर्थ है कि हे पूजा! कुंकुम के रंग से सुशोभित यह अक्षत आपको समर्पित कर रहा हंू, कृपया आप इसे स्वीकार करें। इसका यही भाव है कि अन्न में अक्षत यानि चावल को श्रेष्ठ माना जाता है। इसे देवान्न भी कहा गया है। अर्थात देवताओं का प्रिय अन्न। अत: इसे सुगंधित द्रव्य कुंकुम के साथ आपको अर्पित कर रहे हैं। इसे ग्रहण कर आप भक्त की भावना को स्वीकार करें।

मसूर की दाल का उपाय अपनाओं फिर देखों कमाल

मसूर की दाल जो कि लाल रंग की होती है और इसका संबंध मंगल ग्रह से माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह को सेनापति का पद प्राप्त है। मंगल देव का रंग लाल है और लाल रंग की वस्तुएं उन्हें बेहद प्रिय हैं। इसी वजह से मंगल की बाधाओं को दूर करने के लिए लाल रंग की वस्तुओं से जुड़े पूजन आदि कर्म किए जाते हैं।

ज्योतिष शास्त्र में नौ ग्रह बताए गए हैं जो अपनी स्थितियों के अनुसार हमें शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं। मंगल देव को सेनापति माना जाता है इसी वजह से मनुष्य पर इनका प्रभाव काफी अधिक पड़ता है। मंगल दोष के कारण व्यक्ति को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यदि किसी की कुंडली में मंगल अशुभ है तो उसे जीवन में भूमि, विवाह, हमारे शरीर में रक्त से जुड़ी बीमारियों और परेशानियों से जुझना पड़ता है।

हमारे शरीर में रक्त में मंगल देव का निवास माना जाता है
सी वजह से मंगल के अशुभ होने पर व्यक्ति रक्त से जुड़ी बीमारियां होने की संभावनाएं बनी रहती हैं। लाख कोशिशों के बाद भूमि से जुड़े मामलों में सफलता मिलने में भी शंका रहती है। इसके अलावा मंगल दोष वाले व्यक्ति को विवाह में भी कई प्रकार की परेशानियां उठानी पड़ती हैं, विवाह देर से होता है।

मंगल के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए मसूर की दाल का दान सबसे अच्छा और सस्ता उपाय है। मंगल का रंग लाल है और मसूर की दाल भी लाल ही होती है। इसी वजह से इस दाल के दान से मंगल देव अति प्रसन्न होते हैं। किसी योग्य व्यक्ति को समय-समय पर दाल का दान करने पर उसकी दुआं से भी व्यक्ति के बिगड़े कार्य बनने लगेंगे। भूमि, विवाह या रक्त से जुड़ी समस्याएं धीरे-धीरे कम होने लगेंगी।

कुछ ही दिनों में आपका वेतन भी बढ़ जाएगा, यह उपाय करें...

ग्रहों के अशुभ योग या बाधाओं को दूर करने के लिए संबंधीत ग्रह का उपचार किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त यह उपाय करें-

किसी भी सोमवार से शिव का पंचोपचार पूजन प्रारंभ करें। यह पूजन प्रतिदिन किया जाना चाहिए। शिवलिंग सजाकर
शिवमहिम्र का पाठ करें। इसके अलावा किसी भी सोमवार को खीर चावल का हवन करें, इसके साथ ही इस मंत्र का जप करें- ऊँ ह्रीं क्लीं श्रीं नम:। ऐसा करने से अतिशीघ्र आय के स्रोतों में बढ़ोतरी होगी। सदैव इस मंत्र का जाप करने से भी धन बढ़ता है।
 

इन दो लाइनों से मिलेगा पैसा और दूर हो जाएगा हर दुख

शास्त्रों के अनुसार हमें हमारे कर्मों के अनुसार ही सुख और दुख की प्राप्ति होती है। यदि किसी व्यक्ति ने पूर्व में या पिछले जन्मों में कोई अधार्मिक कार्य किया है तो उसका फल अवश्य ही भोगना पड़ता है। दुखों को कम करने के लिए भगवान की भक्ति सबसे अच्छा उपाय है। ईश्वर की कृपा से सभी प्रकार के दुख स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं। भगवान को प्रसन्न करने के लिए यह दो लाइनों का सटीक मंत्र बताया गया है। जब किसी भी कार्य में कोई महाबाधा उत्पन्न हो रही हो तो प्रात: काल पूजन के समय इस मंत्र का जप करें-

 
रामलक्ष्मणौ सीता च सुग्रीवो हनुमान कपि:।

पञ्चैतान स्मरतौ नित्यं महाबाधा प्रमुच्यते।।

दिनभर में पांच बार इस दिव्य मंत्र का जप कर घर से निकलते समय या पूजन के समय करने से सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। श्रीराम की भक्ति सभी सुख प्रदान करती हैं और हर युग में मात्र इनका नाम लेने से ही कई पापों का प्रभाव खत्म हो जाता है।



कुछ ही मिनिट का उपाय और छुटकारा मिल जाएगा पैसों की तंगी से

आधुनिक युग में सुख-समृद्धि और सुविधाओं की जितनी वस्तुएं बढ़ रही हैं उतनी ही बढ़ रही हैं हमारी समस्याएं। सभी सुविधाओं को जुटाने में इंसान दिन-रात कई प्रकार के प्रयास में लगा हुआ है। काफी कम लोगों को यह सभी सुविधाएं हासिल हो पाती हैं लेकिन जिन लोगों को यह सब नहीं मिल पाता उन्हें निराशा का सामना करना पड़ता है। इस निराशा के साथ जीवन और अधिक बुरा दिखाई देने लगता है। इन सभी नकारात्मक भावनाओं को दूर करने के बाद ही जीवन को खुशियों के साथ जिया जा सकता है। इसके लिए हनुमानजी की भक्ति सर्वश्रेष्ठ मार्ग है।

कलयुग हो या सतयुग बजरंग बली ने हर युग में भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण की हैं। आज भी इन्हें जल्दी ही प्रसन्न होने वाले देवताओं में श्रेणी में माना जाता है। इनकी भक्ति से तुरंत ही शुभ फल प्राप्त होने लगते हैं। यदि सच्चे हृदय से प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो कुछ ही दिनों में आप आश्चर्यजनक फल प्राप्त करने लगेंगे। बस ध्यान रखें कि आपसे किसी का अहित न हो और आप सभी अधार्मिक कृत्यों से खुद को दूर रखें। हनुमानजी की भक्ति में शरीर और मन की पवित्रता का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए अन्यथा भक्ति से शुभ फल विलंब से प्राप्त होते हैं।

हनुमानजी की भक्ति का सर्वोत्तम और सबसे सरल उपाय है हनुमान चालीसा का जप। प्रतिदिन कुछ समय श्रीरामजी के अनन्य भक्त पवनपुत्र हनुमानजी का ध्यान करने से जीवन खुशियोंभरा हो जाता है। यहां हनुमान चालिसा दी जा रही है जिसका जप आप किसी भी समय कर सकते हैं। मन को शांति मिलेगी।

दोहा- श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।

बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि॥

बुध्दिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार॥

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपिस तिहुँ लोक उजागर॥

रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै कांधे मूँज जनेऊ साजै॥

संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बंदन॥

बिद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लषन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे। रामचंद्र के काज सँवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते। कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा॥

तुम्हरो मन्त्र बिभीषन माना। लंकेस्वर भए सब जग जाना॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं॥

दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना॥

आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हाँक तें काँपै॥

भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

संकट तें हनुमान छुडावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोइ लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै॥

अंत काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेंइ सर्ब सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरु देव की नाईं॥

जो सत बर पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चलीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

दोहा- पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लषन सीता सहित,हृदय बसहु सुर भूप॥


खराब किस्मत भी चमक जाएगी इस पवित्र दूध से...

काफी लोगों का मानना है कि जीवन में जो भी सफलता या असफलता मिलती है उसके पीछे व्यक्ति की किस्मत का प्रभाव होता है। कई बार ऐसी परिस्थितियां निर्मित होती हैं कि असफलताओं से व्यक्ति निराश हो जाता है।

जिससे नए कार्यों में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में परिवार में भी समस्याओं का दौर शुरू हो जाता है। इस प्रकार की सभी परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए ज्योतिष और धर्म शास्त्रों कई सटीक उपाय बताए गए हैं।

सभी शास्त्रों में गाय का परम पूजनीय और पवित्र माना गया है। इसे माता कहा जाता है साथ ही सभी देवी-देवताओं का वास भी गाय में होता है। इसी वजह से गाय की पूजा से सभी दुखों का नाश होता है और भाग्य साथ देने लगता है।

यदि जीवन में अत्यधिक परेशानियों का दौर चल रहा हो तो प्रतिदिन शिवलिंग पर गाय का दूध अर्पित करें। शिवजी को तीनों लोकों का स्वामी माना गया है और इनकी भक्ति सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने मानी गई है।

नि:स्वार्थ भाव से प्रतिदिन शिवजी का पूजन करने वाले भक्त को जीवन में कभी भी कोई कष्ट नहीं रहता। गाय के दूध को पवित्र माना जाता है और इसे शिवलिंग पर चढ़ाने से शिवजी अतिप्रसन्न होते हैं। शिवलिंग जल और दूध चढ़ाने के बाद विधिवत पूजन किया जाना चाहिए। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों में असफलताओं का दौर खत्म होगा तथा बिगड़े कार्य बनने लगेंगे। इस प्रकार पूजा करने पर बिगड़ी किस्मत भी संवर जाएगी।


आपकी हर इच्छा पूरी होगी इस टोटके से

हर इंसान की कोई न कोई मनोकामना होती है जिसे वह पूरी होते देखना चाहता है। लेकिन सभी की मनोकामनी पूरी नहीं हो पाती। अगर आपकी भी कोई मनोकामना या इच्छा है और आप उसे पूरी करना चाहते हैं तो नीचे लिखे टोटके को करने से आपकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी।

टोटका

कोई विशेष कार्य संपन्न करना हो तो रात में ऐसे कुएं के पास जाएं जिसके करीब मिट्टी हो तथा कुएं के पानी एवं मिट्टी से भगवान श्रीगणेश की एक मूर्ति बनाएं। इसे घर लेकर आएं तथा उसको सिंदूर चढ़ाकर प्रतिदिन चालीस दिन विधि-विधान से पूजन करें तथा रोज एक लड्डु का भोग लगाकर बच्चों में बांट दें।

इस टोटके से कुछ ही दिनों में आपकी मनोकामना जरुर पूरी हो जाएगी।






जब भाग्य न दे साथ, करें यह टोटका


कभी-कभी न चाहते हुए भी जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। भाग्य साथ ही नहीं देता है, बल्कि दुर्भाग्य निरन्तर पीछा करता रहता है। दुर्भाग्य से बचने के लिए या दुर्भाग्य नाश के लिए यहां एक अनुभूत टोटका बता रहे हैं। इसका बिना शंका के मन से पूर्ण आस्था के साथ करने से दुर्भाग्य का नाश होकर सौभाग्य वृद्धि होती है।

टोटका

सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले इस टोटके को करना है। एक रोटी लें। इस रोटी को अपने ऊपर से 31 बार ऊवार लें। प्रत्येक बार वारते समय इस मन्त्र का उच्चारण भी करें।

-
ऊँ दुभाग्यनाशिनी दुं दुर्गाय नम:।

-
बाद में रोटी को कुत्ते को खिला दें अथवा बहते पानी में बहा दें।

-
यह अद्भुत प्रयोग है। इसके बाद आप देखेंगे कि किस्मत के दरवाजे आपके लिए खुल गए हैं। बिना शंका के इस प्रयोग को मन से करने से शीघ्र लाभ होता है।





समय की कमी हो तो देव पूजा के लिए यह उपाय अपनाएं

आज के भागदौड़ भरें जीवन में धार्मिक आस्था रखने वाले अनेक लोग चाहकर भी जब देव उपासना से वंचित रहते हैं तो कहीं न कहीं उनका मन बेचैन रहता है। वहीं कुछ लोग अति महत्वाकांक्षाओं के चलते देव स्मरण से दूर हो जाते हैं। इसलिए यहां बताया जा रहा है ऐसे ही लोगों के लिए ऐसे देवता के स्मरण का छोटा-सा उपाय जो समय की कमी होने पर भी अपनाया जा सकता है और जीवन में आने वाली अनचाही परेशानियों से बचा जा सकता है।

जीवन से जुड़ा कोई भी कार्य हो शुभ और अच्छी शुरूआत बेहतर नतीजों को नियत कर देती है। जब काम को शुरू और बिना विघ्रों के सफलता पाने की बात होती है तो हिन्दू धर्म में भगवान श्री गणेश का ही स्मरण किया जाता है।

भगवान श्री गणेश की उपासना के लिए चतुर्थी, बुधवार का बहुत महत्व है। अगर आप दिन और काम की अच्छी शुरूआत चाहते हैं तो भगवान श्री गणेश के स्मरण का यह छोटा-सा तरीका अपनाए -

-
सुबह स्नान के बाद देवालय या भगवान श्री गणेश की प्रतिमा या तस्वीर के सामने यह मंत्र बोल कर धूप या अगरबत्ती लगाएं -

वनस्पतिरसोद्भूतों गन्धाढ्यो गन्ध उत्तम:।

आघ्रेय सर्वदेवानां धूपो यं प्रतिगृह्यताम।।

श्री गणेश को धूप या अगरबत्ती दिखाकर इस मंत्र से श्री गणेश का ध्यान कर लें-

अभीप्सितार्थसिद्धयर्थं पूजितो य: सुरासुरै:।

सर्वविघ्रहरस्तस्मै गणाधिपतये नमो नम:।।

इसके बाद भगवान श्री गणेश को प्रणाम कर दिन और काम बिन बाधा पूरा होने की कामना कर कार्य के लिए निकलें। यह उपाय आप कार्यस्थल पर पवित्रता का ध्यान रखते हुए अपना सकते हैं।







राज करना है तो समझें हनुमान की यह छोटी सी सीख..

सानी जीवन संघर्ष से भरा होता है। सफलतम हो या असफल इंसान, दोनों को अपने वजूद को बनाए रखने के लिये जद्दोजहद करना ही होती है। हां, इसका रूप अलग-अलग जरूर हो सकता है।

संघर्ष का यह सिलसिला परिवार को खुशहाल बनाने से लेकर कार्यक्षेत्र में आगे बढऩे के दौरान चलता ही रहता है। परिवार के मुखिया के रूप में जिम्मेदारियों को उठाना हो या कार्यक्षेत्र में ऊंचे पद पर बैठकर प्रबंधन का दायित्व पूरा करना हो, दोनों ही स्थितियों में प्रशासनिक कुशलता अहम होती है। जिसके लिए ऊपरी तौर पर तो सभी को साथ लेकर चलने का सूत्र बेहतर माना जाता है।

सभी के साथ समन्वय और संतुलन बनाने की यह बात मौखिक रूप से तो बड़ी आसान लगती है, किंतु व्यावहारिक रूप से उतनी ही कठिन भी होती है। इसी जटिल कार्य को आसान बनाने का सूत्र हिन्दू धर्मग्रंथ वाल्मीकी रामायण में श्री हनुमान द्वारा सुग्रीव को बताया गया। जिसे राजा या शासन करने वाला कोई भी व्यक्ति अपनाएं तो गृहस्थी या कार्यक्षेत्र में सफलता पा सकता है।

वाल्मीकी रामायण के मुताबिक श्रीराम-लक्ष्मण को देखकर सुग्रीव के मन में पैदा भय-संशय को दूर करने के लिये श्री हनुमान द्वारा यह बात कही गई-

बुद्धिविज्ञानसम्पन्न इङ्गितै: सर्वमाचर:।

नह्यबुद्धिं गतो राजा सर्वभूतानि शास्ति हि।।

सरल शब्दों में अर्थ यही है कि राजा बुद्धि और बल के बूते ही पूरी प्रजा पर सफलतापूर्वक शासन कर सकता है। जिसके लिये बहुत जरूरी है कि बुद्धि और विवेक के उपयोग से दूसरों के भाव, स्वभाव और व्यवहार को समझें और उसके मुताबिक निर्णय लेकर काम करें।

यही बात गृहस्थी और कार्यक्षेत्र में समान रूप से लागू होती है। घर में पारिवारिक सदस्यों के स्वभाव, गुणों, आदतों और कार्यक्षेत्र में अधीनस्थों के कार्य, योग्यता, प्रकृति, गुण, मनोभाव और व्यवहार की बुद्धि व निरपेक्ष भाव से परख कर सही कार्ययोजना द्वारा लक्ष्य और सफलता को हासिल करें और कुशल प्रबंधक बन अधीनस्थों के साथ स्वयं भी तरक्की की राह पर आगे बढें।





आज शाम बोलें ये 4 आसान गणेश मंत्र, हर इच्छा हो जाएगी पूरी

शास्त्रों में श्री गणेश की उपासना हर कल्मष यानी सांसारिक जीवन के सभी कलह, संताप, दु:ख हरने वाली भी मानी गई है। हिन्दू धर्म पंचांग के माह आषाढ में भगवान गणेश के ऐसे शुभ और मंगलकारी स्वरूप अनिरूद्ध गणेश की पूजा की जाती है।

विशेष रूप से आषाढ़ माह की चतुर्थी पर गणेश पूजा हर मनोकामना पूरी करने वाली मानी गई है। इस दिन शाम को गणेश की विशेष पूजा का विधान है। किंतु अगर कोई भी श्रद्धालु व्यस्तता के चलते समय न दे पाए तो ऐसे ही भक्तों के लिए यहां बताई जा रही है श्री गणेश पूजा की सरल विधि और नाम मंत्र जो व्यक्तिगत और घर-परिवार से जुड़ी सभी परेशानियों को दूर कर अपार सुख देने वाले माने गए हैं -

-
चतुर्थी की शाम स्नान कर पवित्र भाव से भगवान श्री गणेश की पंचोपचार यानी पांच तरह की सामग्रियों से पूजा में केसरिया चंदन या सिंदूर, अक्षत, सुंगधित फूल व दूर्वा चढ़ाकर नैवेद्य में मोदक या लड्डू अर्पित करें। इसके बाद इन कलहनाशक श्री गणेश नाम मंत्रों का यथाशक्ति जप करें -

ॐ अकल्माषय नम:

ॐ दूर्वाबिल्वप्रियाय नम:

ॐ बुद्धिप्रियाय नम:

ॐ भक्तविघ्रविनाशाय नम:

-
श्री गणेश पूजा और मंत्र जप के बाद आरती कर भगवान के सामने अपनी इच्छा मन ही मन जाहिर कर उसे पूरी करने की प्रार्थना करें और प्रसाद ग्रहण करें।



सारे रोग हो जाएंगे छूमंतर..! गुप्त नवरात्रि में बोलें यह अद्भुत देवी मंत्र

धार्मिक दृष्टि से हम सभी जानते हैं कि नवरात्रि देवी स्मरण से शक्ति साधना की शुभ घड़ी है। दरअसल, इस शक्ति साधना के पीछे छुपा व्यावहारिक पक्ष यह है कि नवरात्रि का समय मौसम के बदलाव का होता है। आयुर्वेद के मुताबिक इस बदलाव से जहां शरीर में वात, पित्त, कफ में दोष पैदा होते हैं, वहीं बाहरी वातावरण में रोगाणु। जो अनेक बीमारियों का कारण बनते हैं। सुखी-स्वस्थ जीवन के लिये इनसे बचाव बहुत जरूरी है।

नवरात्रि के विशेष काल में देवी उपासना के माध्यम से खान-पान, रहन-सहन और देव स्मरण में अपनाने गए संयम और अनुशासन तन व मन को शक्ति और ऊर्जा देते हैं। जिससे इंसान निरोगी होकर लंबी आयु और सुख प्राप्त करता है।

यही कारण है कि व्यावहारिक उपाय के साथ धार्मिक उपायों को जोड़कर शास्त्रों में देवी उपासना के कुछ विशेष मंत्रों का स्मरण सामान्य ही नहीं गंभीर रोगों की पीड़ा को दूर करने वाला माना गया है।

इन रोगनाशक मंत्रों का नवरात्रि के विशेष काल में ध्यान अच्छी सेहत के लिये बहुत ही असरदार माना गया है। जानते हैं यह रोगनाशक विशेष देवी मंत्र -

जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।

धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि के अलावा हर रोज भी इस मंत्र का यथसंभव 108 बार जप तन, मन व स्थान की पवित्रता के साथ करने से संक्रामक रोग सहित सभी गंभीर बीमारियों का भी अंत होता है। घर-परिवार रोगमुक्त होता है।

इस मंत्र जप के पहले देवी की पूजा पारंपरिक पूजा सामग्रियों से जरूर करें। जिनमें गंध, फूल, वस्त्र, फल, नैवेद्य शामिल हो। इतना भी न कर पाएं तो धूप व दीप जलाकर भी इस मंत्र का ध्यान कर आरती करना भी बहुत शुभ माना गया है।


शनिवार को यह मंत्र बोल पीपल में चढ़ाएं जल, दूर होगा हर दोष


प्रकृति को ईश्वर स्वरूप मानने वाली हिन्दू धर्म परंपरा में तरह-तरह के वृक्षों की देव रूप में पूजा होती है। इस कड़ी में पीपल देव वृक्ष माना जाता है। मान्यता है कि इसमें देवताओं का वास होता है। गीता में भी श्रीकृष्ण ने पीपल को अपना ही स्वरूप बताया है। इसमें त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और शिव का निवास भी माना जाता है।

पीपल को अश्वत्थ भी कहा जाता है। पीपल पूजा से पितृदोष, ग्रह दोष, सर्पदोष दूर कर लंबी उम्र, धन-संपत्ति, संतान, सौभाग्य व शांति के साथ भी देने वाली मानी गई है।

वैसे पीपल पूजा नियमित ही शुभ फल देती है। लेकिन विशेष रुप से शनिवार को पीपल पूजा सुख और शांति देने वाली मानी गई है। अगर आप भी घर-परिवार और निजी जीवन में दु:ख-दरिद्रता से बचना चाहते हैं तो नीचे लिखे मंत्र से पीपल में जल चढ़ाएं। जानते हैं पीपल की सरल पूजा विधि - 

-
शनिवार के दिन स्नान कर तेल की बत्ती का दीप जलाएं। इसे पीपल के वृक्ष के पास रखें। जल भरे तांबे के लोटे से पीपल पर जल चढ़ाएं। कुमकुम, अक्षत, हल्दी, सुपारी, फूल चढाएं।

-
दीप लगाने और जल चढ़ाने के बाद नीचे लिखे मंत्र से सुख की कामना के साथ कम से कम 5 बार परिक्रमा लगाएं -

अश्वत्थ सुमहाभाग सुभग प्रियदर्शन।

इष्टकामांश्च में देहि शत्रुभ्यस्तु पराभवम्।।

आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदाम्।

देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।

अगर आपकी धर्म और उपासना से जुड़ी कोई जिज्ञासा हो या कोई जानकारी चाहते हैं तो इस आर्टिकल पर टिप्पणी के साथ नीचे कमेंट बाक्स के जरिए हमें भेजें।



दोपहर में इस शनि मंत्र स्तुति से नहीं होता शनि का कोप..

सूर्य पुत्र व मृत्यु के देवता यमराज के बड़े भाई शनि भी क्रूर देवता माने गए हैं। जहां उनका स्वरुप तो भयंकर है ही साथ ही उनकी टेढ़ी चाल भी घातक मानी गई है। वह दण्ड देने वाले देवता माने गए हैं। माना गया है कि वह बुरे कर्मों के लिए जगत के जीवों को सजा देते हैं।

ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक शनि का यह दण्ड शनि दशा, महादशा, साढ़े साती या ढैय्या के रूप में जाना जाता है। शनि की इन दशाओं में अन्य ग्रहों के बुरे योग होने पर शनि दशा पीड़ादायक होकर इंसान को बेहाल कर सकती है। जिससे व्यावहारिक जीवन परेशानियों से घिर जाता है।

शनि के कोप से बचने के लिये ही शास्त्रों में दोपहर में शनि पूजा कर शनैश्चर स्तवराज का पाठ बहुत असरदार माना गया है। विशेष तौर पर शनि दशा में यह शनि को अनुकूल बनाता है। अगर आप शनि दशा से गुजर रहे हैं या शनि दशा लगने वाली हो तो नीचे लिखी सरल विधि से शनि पूजा और मंत्र स्तुति करें -

-
शनिवार के दिन दोपहर में शनि मंदिर में शनि प्रतिमा को गंध, तिल का तेल, काले तिल, उड़द, काला कपड़ा व तेल से बने व्यजंन चढ़ाकर नीचे लिखे शनैश्चर स्तवराज का पाठ करें -

ध्यात्वा गणपतिं राजा धर्मराजो युधिष्ठिरः।

धीरः शनैश्चरस्येमं चकार स्तवमुत्तमम।।

शिरो में भास्करिः पातु भालं छायासुतोवतु।

कोटराक्षो दृशौ पातु शिखिकण्ठनिभः श्रुती ।।

घ्राणं मे भीषणः पातु मुखं बलिमुखोवतु।

स्कन्धौ संवर्तकः पातु भुजौ मे भयदोवतु ।।

सौरिर्मे हृदयं पातु नाभिं शनैश्चरोवतु ।

ग्रहराजः कटिं पातु सर्वतो रविनन्दनः ।।

पादौ मन्दगतिः पातु कृष्णः पात्वखिलं वपुः ।

रक्षामेतां पठेन्नित्यं सौरेर्नामबलैर्युताम।।

सुखी पुत्री चिरायुश्च स भवेन्नात्र संशयः ।

सौरिः शनैश्चरः कृष्णो नीलोत्पलनिभः शन।।

शुष्कोदरो विशालाक्षो र्दुनिरीक्ष्यो विभीषणः ।

शिखिकण्ठनिभो नीलश्छायाहृदयनन्दनः ।।

कालदृष्टिः कोटराक्षः स्थूलरोमावलीमुखः ।

दीर्घो निर्मांसगात्रस्तु शुष्को घोरो भयानकः ।।

नीलांशुः क्रोधनो रौद्रो दीर्घश्मश्रुर्जटाधरः।

मन्दो मन्दगतिः खंजो तृप्तः संवर्तको यमः ।।

ग्रहराजः कराली च सूर्यपुत्रो रविः शशी ।

कुजो बुधो गुरूः काव्यो भानुजः सिंहिकासुत।।

केतुर्देवपतिर्बाहुः कृतान्तो नैऋतस्तथा।

शशी मरूत्कुबेरश्च ईशानः सुर आत्मभूः ।।

विष्णुर्हरो गणपतिः कुमारः काम ईश्वरः।

कर्ता हर्ता पालयिता राज्यभुग् राज्यदायकः ।।

छायासुतः श्यामलाङ्गो धनहर्ता धनप्रदः।

क्रूरकर्मविधाता च सर्वकर्मावरोधकः ।।

तुष्टो रूष्टः कामरूपः कामदो रविनन्दनः ।

ग्रहपीडाहरः शान्तो नक्षत्रेशो ग्रहेश्वरः ।।

स्थिरासनः स्थिरगतिर्महाकायो महाबलः ।

महाप्रभो महाकालः कालात्मा कालकालकः ।।

आदित्यभयदाता च मृत्युरादित्यनंदनः।

शतभिद्रुक्षदयिता त्रयोदशितिथिप्रियः ।।

तिथ्यात्मा तिथिगणनो नक्षत्रगणनायकः ।

योगराशिर्मुहूर्तात्मा कर्ता दिनपतिः प्रभुः ।।

शमीपुष्पप्रियः श्यामस्त्रैलोक्याभयदायकः ।

नीलवासाः क्रियासिन्धुर्नीलाञ्जनचयच्छविः ।।

सर्वरोगहरो देवः सिद्धो देवगणस्तुतः।

अष्टोत्तरशतं नाम्नां सौरेश्छायासुतस्य यः ।।

पठेन्नित्यं तस्य पीडा समस्ता नश्यति ध्रुवम् ।

कृत्वा पूजां पठेन्मर्त्यो भक्तिमान्यः स्तवं सदा ।।

विशेषतः शनिदिने पीडा तस्य विनश्यति।

जन्मलग्ने स्थितिर्वापि गोचरे क्रूरराशिगे ।।

दशासु च गते सौरे तदा स्तवमिमं पठेत् ।

पूजयेद्यः शनिं भक्त्या शमीपुष्पाक्षताम्बरैः ।।

विधाय लोहप्रतिमां नरो दुःखाद्विमुच्यते ।

वाधा यान्यग्रहाणां च यः पठेत्तस्य नश्यति ।।

भीतो भयाद्विमुच्येत बद्धो मुच्येत बन्धनात् ।

रोगी रोगाद्विमुच्येत नरः स्तवमिमं पठेत् ।।

पुत्रवान्धनवान् श्रीमान् जायते नात्र संशयः ।।

स्तवं निशम्य पार्थस्य प्रत्यक्षोभूच्छनैश्चरः ।

दत्त्वा राज्ञे वरः कामं शनिश्चान्तर्दधे तदा ।।

धन की कामना है.. शुक्रवार को लक्ष्मी को इस मंत्र से लगाएं लाल चन्दन

जहां व्यवस्था और पावनता होती है, वहां खुशहाली भी आ बसती है। शास्त्रों में बताए श्री शब्द के पीछे भी यही भाव है। धार्मिक आस्था से लक्ष्मी कृपा को ही श्री पुकारा जाता है। बेहद सरल शब्दों में कहें तो माता लक्ष्मी की उपासना सुंदरता प्रदान करती है। यह खूबसूरती मन, वचन, कर्म, व्यवहार की पावनता, ऐश्वर्य, शांति और सुखों के रूप में प्राप्त होती है।

असल में कर्म, व्यवहार में विकृति और गंदगी दु:ख-दरिद्रता या अभाव का कारण बनती है। किंतु शरीर, मन, विचार या व्यवहार की पवित्रता सुख-संपन्नता देने वाली होती है, जिसे लक्ष्मी कृपा के रूप में जाना जाता है। 

अगर आप भी लक्ष्मी कृपा की कामना रखते हैं तो देवी लक्ष्मी उपासना के विशेष दिन शुक्रवार को यहां बताया जा रहा एक सरल उपाय न चूकें। माता लक्ष्मी सुख-समृद्धि, धन और ऐश्वर्य की देवी मानी गई है। इस सरल उपाय से लक्ष्मी को प्रसन्न कर सुख-संपन्नता की कामना पूरी की जा सकती है -

-
शुक्रवार के दिन शाम के वक्त स्नान कर लक्ष्मी मंदिर या घर के देवालय में माता लक्ष्मी की प्रतिमा की पूजा करें।

-
देवी लक्ष्मी पूजा में लाल सामग्रियों का विशेष महत्व है। इसी कड़ी में देवी लक्ष्मी को अन्य पूजा सामग्रियों के अर्पण से पहले नीचे लिखें मंत्र के साथ विशेष रूप से लाल चंदन लगाएं -

रक्तचंदनंसम्मिश्रं पारिजातसमुद्भवम्।

मयादत्तं महालक्ष्मी चन्दनं प्रतिग्रह्यताम्।।

-
लाल चंदन अर्पण के बाद शेष पूजा सामग्री, लाल फूल, लाल अक्षत, लाल वस्त्र, नारियल, नैवेद्य अर्पित करें।

-
लक्ष्मी स्तुति या लक्ष्मी मंत्रों का स्मरण कर देवी की सुगंधित धूप व गोघृत के दीप से आरती करें।

-
अंत में अपार सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पूजा, मंत्र जप, आरती में हुई त्रुटि के लिए क्षमा प्रार्थना करें।


बोलें सिर्फ 2 हनुमान मंत्र, शुरू हो जाएगा सफलता का सफर

इंसान में बल हो, बुद्धि भी हो किं तु विवेक की कमी से निर्णय क्षमता कमजोर हो तो वक्त आने पर सही-गलत का फैसला न कर पाने और सक्रिय न होने से शक्ति और ज्ञान बेकार हो जाता है।

शास्त्रों में श्री हनुमान की उपासना बल, बुद्धि और विद्या देने वाली ही मानी गई है। श्री हनुमान इसी बात के आदर्श है कि जब-जब संकट आया उन्होनें तुरंत सक्रियता दिखाई और सही निर्णय लिये। चाहे वह सीता की खोज हो, लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा करने की बात हो या राम-लक्ष्मण को अहिरावण से छुड़ाना।

जोश, उत्साह और ऊर्जा बनाये रख सफलता की सीढिय़ां चढ़ते जाना है तो श्री हनुमान की उपासना बहुत ही शुभ मानी गई है। मंगलवार का दिन श्री हनुमान उपासना के लिये बहुत ही मंगलकारी माना गया है। जिसके लिये यहां बताए जा रहे हैं मात्र 2 मंत्र बहुत ही असरदार भी माने गए हैं।

-
मंगलवार को स्नान के बाद श्री हनुमान की मूर्ति या प्रतिमा पर सिंदूर या लाल चंदन, नारियल, फूल, नैवेद्य चढ़ाकर धूप व चमेली के तेल का दीप जलाकर नीचे लिखें दो मंत्रो का यथाशक्ति जप करें -

-
लक्ष्मणप्राणदात्रे नम:।

-
इन्द्रजित्प्रहितामोघब्रह्मास्त्र विनिवारकाय नम:।

-
इन मंत्रों के स्मरण के बाद श्री हनुमान की दीप-कर्पूर आरती कर विघ्र, बाधा को दूर कर सफल जीवन की कामना करें।

मनोकामना पूरी करने के सबसे आसान टोटके

जब कोई भी इंसान अपनी किसी भी इच्छा की पूर्ति के लिए कोशिशें कर के हार जाता है तो फिर वह मंदिरों में जाकर मन्नतें मांगता है। इस तरह वह पैसों व समय दोनों का नुकसान उठाता है। फिर भी वह निश्चयपूर्वक नहीं कह सकता कि उसकी मनोकामना पूरी हो ही जाएगी।लेकिन तंत्र विज्ञान मे कुछ ऐसे टोटके हैं जिन्हे अपनाकर आप निश्चित ही अपनी सारी मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकते हैं। अगर आप भी चाहते हैं कि सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाएं, तो नीचे लिखे टोटको को अपना सकते हैं।

- बड़ के पत्ते पर अपनी मनोकामना लिखकर जल में प्रवाहित करने से मनोरथ की पूर्ति होती है।

- नए सूती लाल कपड़े में जटावाला नारियल बांधकर बहते जल में प्रवाहित करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।


क्रूर शनि किस भाव में है? उसके उपाय...


शनि वैसे तो न्याय का देवता है परंतु अति क्रूर ग्रह माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति से कोई गलत और अधार्मिक कार्य हो गया है तो शनि उसके पाप का बुरा फल जरूर देता है। यह फल शनि साढ़ेसाती और ढैय्या के समय व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह प्रभावित करता है।

दूसरे, तीसरे, सातवें और बारहवें खाने में शनि श्रेष्ठ होते हैं। शनि का अशुभ घर एक, चार, पांच एवं छठा होता है। बुध, शुक्र एवं राहु शनि के मित्र ग्रह माने गए हैं और सूर्य, चन्द्र एवं मंगल शत्रु समान ग्रह हैं। केतु एवं बृहस्पति से शनि का समभाव है। शनिवार के अधिकारी शनिदेव मेष राशि में ये नीच एवं तुला राशि में उच्च के माने गए हैं।

आपकी कुंडली में शनि जिस घर या भाव में है, उसके अनुसार यहां कुछ उपाय बताए जा रहे हैं जिनके उपयोग से आप शनि की क्रूरता से बच सकते हैं। सभी उपाय कारगर और त्वरित पक्ष में फल देने वाले हैं। सभी उपाय बिना बाधा के कम से कम 40 दिनों तक किए जाने चाहिए। एक बार में एक ही उपाय अपनाएं।

रिलेटेड आर्टिकल्स (संबंधित खबरों) पर क्लिकर करें और जानिएं शनि की क्रूरता से बचने के अचूक उपाय।

जानिए, क्या आप भीड़ से अलग हैं?


हम हर रोज कई तरह के लोगों से मिलते हैं। इनमें से कुछ लोगों को हम कुछ समय में ही भूल जाते हैं लेकिन उन्हीं में से चंद लोग ऐसे होते हैं, जो आप पर एक अमिट छाप छोड़ जाते हैं, कभी सोचा है कि ऐसा क्यों?हस्त ज्योतिष के अनुसार ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऐसे लोगों के हाथों में कुछ ऐसे विशेष योग होते हैं जो उनको भीड़ से अलग बनाते हैं। ऐसे ही एक योग की हम बात कर रहे हैं। यह योग भद्र योग कहलाता है। यह योग जिस भी व्यक्ति के हाथ में होता है, उसकी पहचान भीड़ से अलग होती है।यदि हथेली में बुध पर्वत पूर्ण विकसित हो तथा बुध रेखा सीधी, पतली, गहरी और लालिमा लिए हुए हो तो हाथ में भद्र योग बनता है।

यह योग जिस भी व्यक्ति के हाथ में होता है वह बहुत तेज मस्तिष्क वाला होता है। ये लोग कठिन कार्य को भी सरलता से कर लेते है। ये जीवन मे धीरे-धीरे प्रगृति करते हैं लेकिन अंत में सर्वोच्च पद तक पहुंचने में सफल होते हैं। कोई भी व्यक्ति इनसे अधिक समय तक दुश्मनी नहीं पाता हैं। इनमें दुश्मनों को दोस्त बनाने की कला होती है। ऐसा व्यक्ति अपनी कोशिशों से विदेशों तक अपने व्यापार को फैलाने में सफल रहता है। इसका व्यक्तित्व अपने आप में प्रभाव पूर्ण होता है। जो भी व्यक्ति इस तरह के लोगों के सम्पर्क में आता है ये लोग हमेशा उसकी मदद करने के लिए तैयार रहता है।


कार्य में सफलता चाहें तो करें यह उपाय

यदि आप किसी विशेष काम के जा रहे हैं और आपको उस कार्य की सफलता में संदेह है तो नीचे लिखा उपाय करें। इस उपाय को करने से आपको निश्चित ही सफलता प्राप्त होगी। यह उपाय इस प्रकार है-

किसी कार्य पर जाने से पहले एक नींबू लेकर उस पर चार लौंग अंदर तक धंसा दें तथा नीचे लिखे मंत्र का 21 बार जप करें-

ऊँ श्री हनुमते नम:

अब इस नींबू को अपने साथ लेकर जाएं। जो काम करने जा रहे हैं उसमें सफलता अवश्य मिलेगी और कोई बाधा भी नहीं आएगी।



इन साधारण उपायों से आप बन जाएंगे मालामाल

पैसा कमाने के लिए इंसान क्या नहीं करता। वह दिन-रात मेहनत करता है। हर वक्त उसके दिमाग में यही बात घुमती रहती है कि और पैसा कैसे कमाया जाए? बहुत प्रयास करने के बाद भी इतना नहीं कमा पाता जितनी उसे जरूरत है। ऐसे में यदि नीचे लिखे साधारण तंत्र उपायों का सहारा लिया जाए तो धन की कमी को पूरा किया जा सकता है। इस उपाय से गरीब व्यक्ति भी मालामाल बन सकता है।

उपाय

1- अचानक धन प्राप्ति के लिए अपनी मनोकामना कहते हुए बरगद की जटा में गांठ लगा दें। जब धन लाभ हो जाए तो उसे खोल दें।

2- काली हल्दी को सिंदूर व धूप देकर कुछ सिक्कों के साथ लाल कपड़े में लपेटकर तिजोरी में रख दें। इसके प्रभाव से धन की वृद्धि होगी।

3- 11 कौडिय़ों को शुद्ध केसर में रंगकर पीले कपड़े में बांधकर धन स्थान पर रखने से धन का आगमन होने लगेगा।

4- घर के मुख्य द्वार पर प्रतिदिन सरसों के तेल का दीपक जलाएं। यदि दीपक बुझ जाए तो बचे हुए तेल को पीपल के पेड़ पर चढ़ा दें। यह उपाय 7 शनिवार तक करें।

5- मोती शंख का चूर्ण बनाकर उसे पानी में मिलाकर प्रतिदिन इससे मां लक्ष्मी को स्नान करवाएं तो शीघ्र ही धन संबंधी समस्या दूर हो जाएगी।

6- महालक्ष्मी का ध्यान करते हुए मस्तक पर केसर का तिलक लगाएं। धन लाभ के समाचार मिलेंगे।

7- शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार को 11 अभिमंत्रित गोमती चक्रों को पीले कपड़े में रखकर उनका हल्दी से तिलक करें। फिर उस पोटली को हाथ में लेकर सारे घर में घुमते हुए घर से बाहर आकर बहते जल में प्रवाहित कर दें। धन हानि नहीं होगी।

ऐसे उपाय जिनसे मिलेगा आसानी से पैसा और प्रॉपर्टी सुख..

कई लोगों को कोई सम्पत्ति संबंधी काम फायदेमंद नहीं होता। जो भी सम्पत्ति खरीदते है या बेचते हैं उसके सौदे में समस्याएं आती हैं। ऐसे लोगों का मंगल बिगड़ा हुआ होता है।

क्या आपको भी प्रॉपर्टी से संबंधित कार्यों में परेशानियां आ रही है? आप भी जब कोई प्रॉपर्टी से संबंधित सौदा या कांट्रेक्ट साइन करने वाले होते हैं तब कोई न कोई रूकावट या परेशानियां आ जाती है या प्रॉपर्टी से संबंधित लोन पास नही हो रहा है तो आपको इसके लिए मंगल देव के कुछ छोटे छोटे उपाय करने चाहिए इससे आपकी समस्या खत्म हो जाएगी।

आज हर कोई चाहता है कि उसके पास खुद का घर, बंगला या भूमि-सम्पत्ति हो लेकिन कई लोग ऐसे होते हैं जो कड़ी मेहनत के बाद भी घर नहीं बना पाते जबकि कुछ लोगों को बिना कोशिश किए ही घर, बंगला, भूमि, सम्पत्ति, गाड़ी आदि सब कुछ मिल जाता हैं। ज्योतिष की सहायता से आप भी कुछ छोटे छोटे उपाय कर के ऐसी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं और प्रॉपर्टी के मालिक बन सकते हैं या प्रॉपर्टी से धन कमा सकते हैं।



आपको ये उपाय करना चाहिए-

- प्रॉपर्टी से संबंधित लेन देन के लिए मंगलवार का दिन चुनें।

- मंगलवार को लाल गाय को मसुर की दाल या गुड़ खिलाएं।

- लोन से संबंधित कागजों पर हनुमान जी के पैर का सिंदूर लगाएं।

- 7 मंगलवार तक कन्या भोजन कराएं और लाल वस्तू दान में दें।

- कोई भी सम्पत्ति का सौदा अपने नाम से न करें। पत्नी या बच्चों के नाम से करें। मंगल की पूजा करें।

- हर मंगलवार को बजरंग बाण का पाठ करें और हनुमान मन्दिर में तांबे के पात्र का दान दें।

इस देवी मंत्र की शक्ति से चुटकियों में ले लेंगे सही फैसले

देवी आराधना के शुभ अवसर गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन (5 जुलाई) दुर्गा के चौथे स्वरूप देवी कूष्माण्डा की उपासना की जाती है। देवी कूष्माण्डा के रूप में दुर्गा की इस चौथी शक्ति द्वारा ही ब्रह्माण्ड की रचना मानी गई है। सृष्टि का अण्ड होने के भाव से ही यह शक्ति कूष्माण्डा नाम से प्रसिद्ध और पूजनीय हुई। देवी के  इस स्वरूप का वास सूर्य मण्डल में माना गया है। यह समस्त ग्रह-नक्षत्र, प्राणी और वनस्प्ति जगत की नियंत्रक शक्ति के रूप में पूजनीय है।

सिंह पर बैठी देवी कूष्माण्डा के दिव्य स्वरूप की उपासना सभी सांसारिक कष्टों का अंत कर स्वास्थ्य, सुख, प्रतिष्ठा, समृद्धि और लंबी आयु देने वाली मानी गई है।

शास्त्रों में ऐसी मातृशक्ति की प्रसन्न्ता के लिये गुप्त नवरात्रि में कुछ सरल और आसान उपाय भी बताए गए हैं। जिनको अपनाकर हर इंसान सरलता से मनचाहे सुखों को पा सकता है।

इन उपायों में ही एक है देवी के विशेष मंत्र का जप कर विशेष भोग अर्पित करना। यहां जानते हैं देवी कूष्माण्डा की प्रसन्न्ता के लिये वह विशेष मंत्र और भोग व उसका फल -

- सुबह और रात्रि में स्नान के बाद देवी कूष्माण्डा का नीचे लिखे मंत्र से ध्यान कर गंध, लाल चंदन, लाल अक्षत, लाल पुष्प, लाल वस्त्र चढ़ाकर पूजा करें -

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिरालुप्तमेव च दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभ दास्तु मे।

- पूजा के बाद देवी को विशेष मीठे व्यंजन मालपुए का भोग लगाएं। देवी को इस विशेष मिठाई का भोग बुद्धि और विवेक देने वाला और निर्णय शक्ति को बढ़ाने वाला माना गया है। इसके साथ नीचे लिखें विशेष देवी मंत्र का यथाशक्ति जप करें -

क्रीं कूष्माण्डायै नम:
Previous
Next Post »